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राजनीति का अखाड़ा बना महाविद्यालय, शिक्षा प्रभावित

यूं तो लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज में छात्र राजनीति और आंदोलनों का इतिहास काफी पुराना रहा है। लेकिन इन दिनों महाविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। यहां छात्र-शिक्षक के बीच की मर्यादा तार-तार हो रही है। कभी अवैध शुल्क तो कभी गलत प्रवेश को लेकर आंदोलित छात्र विद्यालय प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 07:41 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 06:04 AM (IST)
राजनीति का अखाड़ा बना महाविद्यालय, शिक्षा प्रभावित
राजनीति का अखाड़ा बना महाविद्यालय, शिक्षा प्रभावित

जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली): यूं तो लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज में छात्र राजनीति और आंदोलनों का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन इन दिनों महाविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। यहां छात्र-शिक्षक के बीच की मर्यादा तार-तार हो रही है। कभी अवैध शुल्क तो कभी गलत प्रवेश को लेकर आंदोलित छात्र विद्यालय प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दे रहे हैं। शैक्षणिक व्यवस्था पर इसका भयावह असर पड़ रहा है। शिक्षा प्रभावित हो रही। नियमित कक्षाएं नहीं चलने का खामियाजा उन विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा, जो कुछ सीखने और आगे बढ़ने की ललक के साथ कालेज आते हैं।

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कुछ दिन पहले ही वित्तीय अनियमितता से जुड़े गंभीर आरोप लगाते हुए छात्रों ने कई दिनों तक धरना दिया। अतिरिक्त फीस, पत्रिका के नाम पर शुल्क आदि आरोपों का प्रबंधन भी सटीक जवाब नहीं दे सका। हालांकि यह मामला जिला प्रशासन तक के संज्ञान में है। पहले गलत प्रवेश लेने और बाद में उन छात्रों का प्रवेश निरस्त करने को लेकर भी छात्रों में आक्रोश है। उद्वेलित छात्रों ने मंगलवार को प्राचार्य का घेराव किया और अपना पक्ष रखते-रखते कब गुरू और शिष्य के बीच का दायरा लांघ गए पता ही नहीं चला। यहां भी प्रबंधन बैकफुट पर नजर आया। इसके पूर्व भी छात्रसंघ चुनाव नामांकन से ठीक पहले एक उम्मीदवार का प्रवेश निरस्त कर दिया गया। छात्र नेताओं ने जमकर हंगामा किया, जिससे चुनाव प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ी। महाविद्यालय ने स्वीकार किया कि दबाव के चलते छात्र का प्रवेश लिया गया था। दोबारा विश्वविद्यालय का प्रेशर पड़ा तो प्रवेश निरस्त करना पड़ा। इस बिगड़े माहौल में उन छात्रों का दम घुट रहा, जिनका उद्देश्य मात्र शिक्षा ग्रहण करना है। छात्रों का कहना कि बेहतर शिक्षा प्रदान करने की सरकार की मंशा यहां फलीभूत नहीं हो पा रही और भविष्य चौपट हो रहा है।


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