जर्जर सड़कों से पतोहू के पैर में मोच आ गई सीएम साहेब
सीएम साहेब हम सकलडीहा क्षेत्र की जर्जर हो चुकी सड़कों से सम्बद्ध गांवों के वाशिदे हाथ जोड़ कर आपसे निवेदन करते हैं। कभी इस ओर भी नजर डालिये हुजूर। सड़कों में उभर आए गड्ढे जानलेवा हैं तो जान जोखिम में डालकर आवगमन करना हमारी बाध्यता। हमें बचाइए साहेब काल के गाल में समा गए तो पत्नी बच्चों को निवाला कौन देगा। रहम मालिक!
आशीष विद्यार्थी, सकलडीहा (चंदौली)
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सीएम साहेब, हम सकलडीहा क्षेत्र की जर्जर हो चुकी सड़कों से संबद्ध गांवों के बाशिदे हाथ जोड़कर आपसे निवेदन करते हैं कि कभी इस ओर भी नजर डालिये हुजूर। सड़कों में उभर आए गड्ढे जानलेवा हैं तो जान जोखिम में डालकर आवागमन करना हमारी बाध्यता। हमें बचाइए साहेब, काल के गाल में समा गए तो पत्नी, बच्चों को निवाला कौन देगा। रहम मालिक!
कभी मौका लगे तो इधर आइए सीएम साहेब। देखिएगा कि आप 21वीं सदी में विकास का ढिढोरा पीटते विकासशील राष्ट्र में नहीं, वरन किसी आदिम युग के पथरीले उबड़-खाबड़ रास्तों पर सफर कर रहे हैं। कम से कम इस बात पर गंभीरता से विचार करिएगा कि आपके द्वारा विकास के रथ में लगे घोड़े इन खतरनाक रास्तों पर सरपट कैसे दौड़ेंगे। आपको यह भी विचार करना होगा कि आपके द्वारा चलाए गए 108 और 112 के पहिए इन जर्जर रास्तों पर पंक्चर हो गए तो स्वास्थ्य व सुरक्षा का ढोल एक झटके में फट जाएगा। आप किसान सम्मान निधि और आयुष्मान योजना चलाइए। आप उज्ज्वला व नागरिक संशोधन कानून भी लाइए। हम इन प्रयासों की सराहना करते हैं, लेकिन दुहाई सरकार की, इन योजनाओं के साथ-साथ बिजली, पानी व सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं पर भी नजर रखिए। ये समस्याएं मानव जीवन की धुरी हैं। वर्तमान में जर्जर सड़कों की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े लोगों को मुंह चिढ़ाती दिख रही हैं। सीएम साहेब, घुरहू के खलिहान में रखा धान बेमौसम बारिश में सड़ गया। खेतों में बारिश के पानी के चलते बसावन गेहूं का एक दाना बो नहीं सके हैं। सुदेसरा के चूल्हे पर रखी पतीली में बेजान उम्मीदों की खुदबुदाहट है। रोजगार न मिलने से रघु के बेटे ने गंगा में छलांग लगा दी है। ..और इन गड्ढे भरी सड़कों पर चलते हुए झम्मन की नई-नवेली पतोहू के पैर में मोच आ गई है।
सीएम साहेब, इन्हें आश्वासन का झुनझुना मत थमाइएगा। लोक निर्माण विभाग के छोटे-बड़े अधिकारियों को निलंबित कर दायित्व से पल्ला मत झाड़ लीजिएगा, बल्कि इन समस्याओं को समाप्त करने की प्रतिबद्धता दिखाइएगा। पूरी तरह टूट चुकी सड़कों को चमकाइए। योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाइए। सीएम साहेब, आम आदमी की आम जरूरतों को पूरा करने में संजीदगी दिखाइए। जब ऐसा हो जाएगा तो ऊंची-ऊंची मीनारों पर चढ़कर उपलब्धियों का ढिढोरा पीटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।