व्यक्ति नहीं, गति परिवर्तन है बदलाव का कारण
स्थानीय पं. केपी त्रिपाठी राजकीय पीजी कालेज में मंगलवार को राष्ट्र राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रवाद- संक्रमण में भारत विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस दौरान बिहार विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर ने विचार व्यक्त किए। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने कहा इतिहास की गति चलती रहती है
जासं, चंदौली : स्थानीय पं. केपी त्रिपाठी राजकीय पीजी कालेज में मंगलवार को राष्ट्र, राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रवाद-संक्रमण में भारत विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस दौरान बिहार विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर ने विचार व्यक्त किए।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने कहा इतिहास की गति चलती रहती है, उसे बांधा नहीं जा सकता है। दुनिया में बदलाव किसी व्यक्ति से नहीं, बल्कि गति परिवर्तन का कारण है। साथ ही विचारों की महत्ता व प्रतिस्पर्धा पर बल दिया। कहा राष्ट्रवाद एक विचार है और विचार कभी मरता नहीं है। अपने विचारों के माध्यम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर भी प्रकाश डाला। हितेंद्र पटेल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज शिमला के डा. हितेंद्र पटेल ने टैगोर व टॉल्सटाय के विचारों के माध्यम से अपनी बात रखी। राष्ट्रवाद को एक खतरनाक अवधारणा कहा और उग्र राष्ट्रवाद को और भी खतरनाक बताया। इसे राष्ट्रवाद का विष वृक्ष नाम दिया। गांधी और नेहरू के विचारों की प्रासंगिकता पर बल दिया। राष्ट्रीय व राष्ट्रवाद के लिए विश्व बंधुत्व पर बल दिया। मुसोलिनी व हिटलर के राष्ट्रवाद को खतरनाक बताया। स्थानीय कालेज के सेवानिवृत्त एसो. प्रो.डा. रमाकांत सिंह ने कहा कि संक्रमण काल में भारत के माध्यम से ही विकास का रास्ता तैयार किया जा सकता है। प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध की चर्चा करते हुए कहा राष्ट्र है तो राष्ट्रहित भी रहेंगे व उनमें टकराव भी होगा। इस दौरान मुंगेर विवि के प्रो. गिरीशचंद्र पांडेय, डा. मोरध्वज सिंह, डा. राजेश्वर कुमार, डा. अविनाश झा, विकास कुमार, मर्टीना चक्रवर्ती ने उक्त विषय पर विचार रखे। संगोष्ठी का सारांश डा. सुनील पांडेय ने प्रस्तुत किया। स्वागत डा. त्रिलोकीनाथ गुप्ता, डा. पंकज कुमार झा ने किया। संचालन डा. सुकृति मिश्रा ने किया।