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पुलिस का पशु तस्करी से पुराना नाता, फंसने पर सब अंजान बन जाता

जागरण संवाददाता चकिया (चंदौली) इलाके में पशु तस्करी की वर्षों पुरानी कहानी है। एक जनव

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 08:41 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 11:39 PM (IST)
पुलिस का पशु तस्करी से पुराना नाता, फंसने पर सब अंजान बन जाता

जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : इलाके में पशु तस्करी की वर्षों पुरानी कहानी है। एक जनवरी 2019 की अलसुबह इलिया थाना के मालदह गांव में पशु तस्करों के वाहन से एक ही परिवार के छह लोगों की मौत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन दिनों भी इंस्पेक्टर नागेंद्र प्रताप इलिया थाने पर मौजूद थे और मंगरौर पुल से छलांग लगाकर तीन पशु तस्करों की हुई मौत की घटना के दौरान भी इंस्पेक्टर नागेंद्र प्रताप सिंह चकिया कोतवाली में तैनात हैं। दोनों घटनाओं में फर्क सिर्फ यह है कि पुलिस, पशु तस्करों के वाहन का पीछा कर रही थी और घबराहट में वाहन चालक स्टेयरिग से नियंत्रण खो बैठा और छह लोगों की मौत हो गई थी। जबकि इस घटना में सकरे मंगरौर पुल पर तस्करों के वाहन की घेराबंदी होने पर उनकी मौत हुई। साथ ही दोनों घटनाओं में एक और फर्क है कि 2019 में हुई घटना में इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया जबकि इस घटना में सेफ हैं। लोगों का मानना है कि कोतवाल पर उच्चाधिकारियों की कृपा ²ष्टि बन गई। कहां गईं तस्करी रोकने वाली स्क्वायड टीम

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एसपी ने जिले में तस्करी रोकने को स्क्वायड टीम भी बनाई है। बावजूद इसके बार्डर के थानों पर तस्करों को खुली छूट मिली है। पशुओं से भरी गाड़ियां मीरजापुर जिले से होकर जनपद में प्रवेश करती हैं। ऐसे में दोनों जिले के बार्डर के थानों-चौकियों पर नियुक्त कुछ कर्मियों से तस्कर मिलीभगत कर लेते हैं। सीमा पार कराने की जिम्मेदारी उनकी होती है। डायल-112 वाहन के कर्मियों की ड्यूटी बदल जाती, इसलिए उनसे तस्कर तालमेल नहीं जोड़ पाते। पीआरवी वाहन चंद रुपयों के लिए पीछा करते हैं, भाग निकले तो ठीक-ठीक, नहीं तो गुडवर्क दिखाकर शाबाशी ले जाते हैं। पर यहां उल्टा ही हो गया।

अक्सर वाहन छोड़ भाग जाते हैं तस्कर

पुलिस को पशु तस्करी की सूचना मिलती है तो टीम गोवंशीय पशुओं से भरी गाड़ी का पीछा करने में लग जाती है। कई बार इसका मैसेज आगे की चौकी या थाना पुलिस को दिया जाता है तो कई बार नहीं भी दिया जाता। जब पशु तस्कर खुद को फंसता देखते हैं तो वह गाड़ी को सड़क किनारे छोड़कर भाग जाते हैं। पर मंगरौर के पास हुई घटना में पशु तस्कर असहाय हो गए थे।

पुल से छलांग लगाना सबके बस की बात नहीं

पशु तस्कर अमूमन शातिर किस्म के होते हैं। पुल से लगभग 100 फुट नीचे छलांग लगाना सबके बस की बात नहीं है। वैसे भी पशु तस्कर पुल के दोनों तरफ किसी निजी वाहनों से घिरा देख इतनी आसानी से पुल से छलांग नहीं लगा सकते। लोगों का कहना है कि समीपवर्ती घुरहुपुर गांव निवासी दोनों पशु तस्कर मंगरौर पुल से नदी के तक के फासले का आंकलन रहा होगा। निश्चित तौर पर पुलिस से जान बचाने के लिए वे पुल से कूदे होंगे।


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