किसानी की लय पर नहर का जलप्रलय
नवम्बर माह आधा खत्म होने के बाद भी गंगा नहर बंद नहीं किये जाने से क्षेत्रीय किसानों की परेशानी बढ़ने लगी है। स्थिति यह है कि धान पकने के बाद भी खेंतो में पानी होने के कारण जहाँ कटाई का कार्य पूरी तरह ठप है
जासं, नियामताबाद(चंदौली) : नहरों के जल प्रलय ने खेती किसानी के चक्र को ही अनियमित करके रख दिया है। धान पकने के बाद भी खेतों में पानी होने के कारण कटाई का कार्य ठप पड़ा है। खेतों की मिट्टी गीली हो गई है। गेहूं की बोआई कब होगी इसका भान होते ही अन्नदाता परेशान होने लगे हैं। जब खेत में पानी की जरूरत होती है तो सिंचाई के लिए पानी ही नहीं मिलता। अब जब खेती की कटाई और बोआई का समय है तो गंगा नहर चालू है। नवम्बर माह आधा खत्म होने के बाद भी गंगा नहर बंद नहीं किए जाने से क्षेत्रीय किसानों की परेशानी बढ़ने लगी है।
किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग गेहूं की बोआई के लिए 10 से 25 नवम्बर का समय उपयुक्त मानता है। ऐसे समय में क्षेत्रीय माइनरें पानी से लबालब हैं। किसानों के अनुसार हर वर्ष नवम्बर के प्रथम सप्ताह में धान की कटाई आरम्भ हो जाती थी। उसके तुरंत बाद तीसरे सप्ताह से बोआई कार्य भी शुरू हो जाता था लेकिन इस वर्ष नहर में पानी होने के कारण कृषि कार्य पूरी तरह ठप पड़ा है। किसान अशोक ¨सह, जयप्रकाश ¨सह, सुबाष दीक्षित, प्रभु ¨बद, हरी, रामू, काशी आदि किसानों ने अबिलम्ब गंगा नहर बंद करने की मांग की है।