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हैंडलूम ऋण योजना के लिए नहीं मिल रहे लाभार्थी

जागरण संवाददाता चंदौली पावरलूम की धूम में हाथ की कारीगरी खत्म होती जा रही है। इसको ल

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 03:56 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 03:56 PM (IST)
हैंडलूम ऋण योजना के लिए नहीं मिल रहे लाभार्थी
हैंडलूम ऋण योजना के लिए नहीं मिल रहे लाभार्थी

जागरण संवाददाता, चंदौली : पावरलूम की धूम में हाथ की कारीगरी खत्म होती जा रही है। इसको लेकर लोगों का रुझान दिनोंदिन कम हो रहा है। स्थिति यह है कि हैंडलूम ऋण योजना के लिए जिले में लाभार्थी नहीं मिल रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष में जिले में 108 का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन नौ माह में ऋण के लिए मात्र 15 आवेदन आए। वित्तीय वर्ष पूरा होने में अब दो माह का समय शेष है। ऐसे में लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा। इसके पीछे योजना के प्रचार-प्रसार का अभाव भी अहम कारण है। कोरोना काल में हैंडलूम उद्योग का झटका लगा। इसके अलावा पावरलूम से फटाफट काम होने की वजह से भी लोग हैंडलूम से तौबा कर रहे हैं। इसकी वजह से हस्तशिल्प की कारीगरी अब खत्म होती जा रही है। जिले के जरी-जरदोजी को एक जनपद एक उत्पाद के रूप में शामिल किया गया है। पीडीडीयू नगर व दुलहीपुर इलाके में जरी-जरदोजी व हैंडलूम के हुनरमंद हैं। हालांकि मशीनों के दौर में उनके हुनर की डिमांड घटती जा रही है। कोरोना ने भी इस उद्योग को काफी क्षति पहुंचाई। ऐसे में एक बार आर्थिक क्षति उठा चुके बुनकर व उद्यमी दोबारा इसे शुरू करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। इसके चलते हैंडलूम ऋण योजना के लिए लाभार्थी नहीं मिल रहे हैं। विभागीय अधिकारियों व बैंक प्रतिनिधियों के लिए लक्ष्य पूरा करना कठिन चुनौती साबित हो रही है। औद्योगिक इकाई के अनुसार मिलता है ऋण : हैंडलूम ऋण योजना के लिए औद्योगिक इकाई के अनुसार उद्यमियों को एक से ढाई लाख तक ऋण दिलाया जाता है। इसके लिए उन्हें बाकायदा आवेदन करना होता है। बैंकों की ओर से औद्योगिक इकाई व आवेदक का सत्यापन किया जाता है। इसमें पात्रता की पुष्टि होने पर ऋण दिलाया जाता है। उद्यमियों को उद्योग से आमदनी कर निर्धारित अवधि के अंदर ऋण राशि बैंक को लौटानी होती है।

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हैंडलूम ऋण योजना के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 15 आवेदन आए हैं। जिले में 108 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पात्रों को योजना का लाभ दिलाया जाएगा। आवेदकों को ढूढने व प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की है। इसको लेकर समय-समय पर विभाग के अधिकारियों से पत्राचार किया जाता है।

- शंकरचंद सामंत, एलडीएम


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