वीडियो कांफ्रेंसिग से प्रार्थना पत्रों की होगी सुनवाई
आठ कर्मियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने से जनपद न्यायालय को छह अगस्त तक बंद कर दिया गया है। ऐसे में जरूरी प्रार्थना पत्रों की सुनवाई के लिए अब तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है। वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए जमानत प्रार्थना पत्रों व लंबित वादों का निस्तारण किया जाएगा। जनपद न्यायाधीश गौरव कुमार श्रीवास्तव ने इसको लेकर बाकायदा गाइडलाइन जारी कर दी है। न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं को इसका पालन करने का निर्देश दिया है।
जागरण संवाददाता, चंदौली : आठ कर्मियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने से जनपद न्यायालय को छह अगस्त तक बंद कर दिया गया है। ऐसे में जरूरी प्रार्थना पत्रों की सुनवाई के लिए अब तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है। वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए जमानत प्रार्थना पत्रों व लंबित वादों का निस्तारण किया जाएगा। जनपद न्यायाधीश गौरव कुमार श्रीवास्तव ने इसको लेकर बाकायदा गाइडलाइन जारी कर दी है। न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं को इसका पालन करने का निर्देश दिया है। इन न्यायालयों में होगी सुनवाई
न्यायालय जिला व सत्र न्यायाधीश, अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम, विशेष न्यायालय विद्युत अधिनियम, न्यायालय विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट, न्यायालय विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट, न्यायालय अपर जिला व सत्र न्यायाधीश तृतीय, विशेष न्यायालय गैंगस्टर एक्ट, न्यायालय अपर जिला व सत्र न्यायाधीश एफसीटी द्वितीय, विशेष न्यायालय एनडीपीएस एक्ट, न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, न्यायालय सिविल जज सीनियर डिविजन, न्यायालय सिविल जज जूनियर डिविजन। इन मामलों की होगी सुनवाई
लंबित व नए जमानत प्रार्थना पत्र, लंबित नए अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र, आवश्यक फौजदारी वाद के प्रार्थना पत्र, आवश्यक दिवानी प्रार्थना पत्र, स्थगन प्रार्थना पत्र, विचाराधीन बंदियों व रिमांड से संबंधित न्यायिक कार्य व अन्य वाद, जिन्हें जनपद न्यायाधीश की ओर से विचार योग्य माना जाए। अधिवक्ता ई-मेल से भेज सकते हैं वादों की सूचना
न्याय विभाग ने अधिवक्ताओं व वादकारियों की सहूलियत का ध्यान रखा है। कचहरी के सिस्टम अधिकारी की ओर से ई-मेल तैयार की गई है। अधिवक्ता इस पर मुकदमों की सूचना भेज सकते हैं। इसमें प्रार्थना पत्र पर अधिवक्ता व वादकारी का नाम, मोबाइल नंबर और ई-मेल आइडी दर्ज किया जाना आवश्यक है। कंप्यूटर अनुभाग की ओर से प्रार्थना पत्रों की सूची तैयार की जाएगी। यदि प्रार्थना पत्र में किसी तरह की कमी मिली तो संबंधित अधिवक्ता को तत्काल सूचित किया जाएगा। वहीं अधिवक्ताओं व वादकारियों की सहूलियत के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा। वादों के निस्तारण की प्रगति की नियमित सूचना उच्च न्यायालय को भेजी जाएगी।