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अब भी जर्जर भवनों में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र

जागरण संवाददाता शिकारगंज (चंदौली) वनांचल इलाके के कई आंगनबाड़ी केंद्र किराए व विद्याल

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 06:21 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 06:21 PM (IST)
अब भी जर्जर भवनों में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र
अब भी जर्जर भवनों में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र

जागरण संवाददाता, शिकारगंज (चंदौली) : वनांचल इलाके के कई आंगनबाड़ी केंद्र किराए व विद्यालय के भवनों में चल रहे हैं। सुविधाओं का अभाव होने के कारण कार्यकर्ताओं को परेशानी उठानी पड़ रही। एक दर्जन आंगनबाड़ी केंद्र बनकर तैयार हो गए हैं लेकिन वे शोपीस बने हैं। कुछ नए भवन प्रयोग न होने के कारण जीर्ण शीर्ण होने लगे हैं। प्राथमिक विद्यालय, सामुदायिक भवन, पंचायत भवन में चलने वाले केंद्रों में शौचालय व पेयजल आदि सुविधाओं नहीं है। ऐसे में योजनाओं के संचालन में दुश्वारियां का सामना करना पड़ रहा।

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शासन प्रत्येक वर्ष एक माह तक सुपोषण माह मनाता है। इसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुपोषण को दूर करने के लिए लोगों को विभिन्न कार्यक्रमों से जागरूक किया जाता। लाडली दिवस, अन्नप्राशन और गोदभराई दिवस आदि कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है लेकिन यह सभी कार्यक्रम विभाग को उधारी के भवनों में आयोजित करना पड़ता है। इनमें भी कइयों के भवन जर्जर हैं। बरसात के दिनों में परेशानी और बढ़ने के साथ ही जमींदोज होने का खतरा बना रहता है। कई केंद्रों के लिए खुद के भवन बन तो गए हैं लेकिन अफसरों की उदासीनता के चलते इनमें केंद्रों का संचालन नहीं हो पा रहा। कारण, नए भवन अभी तक विभाग को हस्तांतरित नहीं हुए हैं। जर्जर भवनों की मरम्मत व नए केंद्र का निर्माण कराने के लिए शासन ने धन तो अवमुक्त किया है लेकिन वह अब भी अधूरे हैं। आरोप है इसे लेकर विभागीय अधिकारी ढिलाई बरत रहे हैं। इससे सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर चलाई जाने वाली योजनाओं में महज कोरमपूर्ति की जा रही है। प्रचार-प्रसार के अभाव में महत्वपूर्ण योजनाओं की तो जानकारी ही नहीं हो पाती।

वर्जन.

नए भवनों में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। इनकी जांच के लिए तकनीकी टीम डीएम ने गठित की है। रिपोर्ट आने के बाद इनमें केंद्र संचालित कराने का प्रयास होगा। जिन केंद्रों का भवन नहीं बना है। उनके लिए प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा जाएगा।

- राकेश बहादुर, बाल विकास परियोजना अधिकारी।


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