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महज 10 मिनट में साफ होगी 24 कोच की ट्रेन

स्वच्छ भारत अभियान को अमल में लाकर स्टेशन और ट्रैकों की रंगत बदलने के बाद रेलवे ने ट्रेनों को चमकाने की तैयारी शुरू कर दी है। मुगलसराय रेल मंडल का पहला आटोमेटिक कोच वाशिग प्लांट गया में बनने जा रहा है। महज 10 मिनट में भी 25 कोच की चलती ट्रेन का बाहरी हिस्सा साफ हो जाएगा। यह प्लांट जल संरक्षण की दिशा में भी कारगर साबित होगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 08:50 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 11:48 PM (IST)
महज 10 मिनट में साफ होगी 24 कोच की ट्रेन
महज 10 मिनट में साफ होगी 24 कोच की ट्रेन

जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली): स्वच्छ भारत अभियान को अमल में लाकर स्टेशन और ट्रैकों की रंगत बदलने के बाद रेलवे ने ट्रेनों को चमकाने की तैयारी शुरू कर दी है। मुगलसराय रेल मंडल का पहला आटोमेटिक कोच वाशिग प्लांट गया में बनने जा रहा है। महज 10 मिनट में ही 24 कोच की चलती ट्रेन का बाहरी हिस्सा साफ हो जाएगा। यह प्लांट जल संरक्षण की दिशा में भी कारगर साबित होगा। पानी की अधिक बर्बादी नहीं होगी। दो दफा पानी का इस्तेमाल किया जाएगा। दिसंबर माह में काम शुरू करा दिया जाएगा।

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गया में बनने वाले आटोमेटिक कोच वाशिग प्लांट के लिए निविदा करा दी गई है। इसे स्थापित करने में तकरीबन एक करोड़ 68 लाख रुपये का खर्च आएगा। शुरुआती दौर में महाबोधी व चेन्नई एक्सप्रेस सहित पैसेंजर ट्रेनों की सफाई कराई जाएगी।

साफ हो जाएगी चलती ट्रेन

प्लांट के सामने से गुजरते ही कोच का बाहरी हिस्सा मिनटों में साफ हो जाएगा। पांच किमी प्रतिघंटा की रफ्तार के चल रही ट्रेन साफ होती जाएगी। आटोमेटिक कोच वाशिग प्लांट से सफाई की गुणवत्ता में काफी सुधार आएगा। दिसंबर माह में मशीन लगा दी जाएगी। फिलहाल ट्रेनों की सफाई करने में भारी भरकम कर्मियों को लगाया जाता है। सफाई कार्य में काफी समय लगता है। लेकिन सफाई में कसर रह ही जाती है। इसमें धन और समय दोनों का नुकसान हो रहा है। आटोमेटिक कोच वाशिग मशीन प्लांट शुरू होने से इन समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। 24 कोच की एक ट्रेन महज आठ से दस मिनट में पूरी तरह से साफ हो जाएगी।

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पानी की होगी बचत

प्लांट में स्थापित वाटर रिसाइकलिग और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए पानी की बचत होती है। वाशिग प्लांट लगाने में तकरीबन एक करोड़ 68 लाख का खर्च आएगा। मशीन के सामने ट्रेन की बोगियां गुजरेंगी उन मशीनों में बड़ा ब्रश और जेड प्रेशर लगा होगा। डिर्टजेंट, केमिकल कोच पर पड़ता जाएगा और आटोमेटिक ब्रश से कोच का बाहरी हिस्सा साफ होता जाएगा। इसके लिए न तो अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी और न काम का दबाव रहेगा। प्लांट के जरिए ट्रेन के कोच पर फेंका जाने वाला पानी पटरियों के किनारे बनी नालियों से होता हुआ प्लांट में वापस पहुंच जाएगा। इसे दोबारा साफ करके इस्तेमाल किया जाएगा।

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वर्जन

गया में बनने वाले आटोमेटिक कोच वाशिग प्लांट की निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। दिसंबर माह से काम शुरू होने की संभावना है। यह ट्रेनों की बेहतर साफ-सफाई में मददगार साबित होगा।

पुष्कर कुमार, यांत्रिक अभियंता पर्यावरण एवं रखरखाव प्रबंधन


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