10 फीसद किसानों को फसल बीमा क्लेम, अन्य को कैसे मिले क्षतिपूर्ति
जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल की अध्यक्षता में बुधवार को विकास भवन सभागार में किसान दिवस का आयोजन किया गया। इसमें फसल बीमा क्लेम का मुद्दा छाया रहा। किसानों ने क्लेम भुगतान व सर्वे में बैंक व बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों पर हीलाहवाली का आरोप लगाया। सर्वे के एक माह बाद भी नियमानुसार 25 फीसदी क्लेम न मिलने पर नाराजगी जताई। शत-प्रतिशत किसानों को फसल बर्बादी का मुआवजा देने की मांग की। डीएम ने हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।
जागरण संवाददाता, चंदौली : डीएम नवनीत सिंह चहल की अध्यक्षता में बुधवार को विकास भवन सभागार में किसान दिवस का आयोजन किया गया। इसमें फसल बीमा क्लेम का मुद्दा छाया रहा। किसानों ने क्लेम भुगतान व सर्वे में बैंक व बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों पर हीलाहवाली का आरोप लगाया। सर्वे के एक माह बाद भी नियमानुसार 25 फीसद क्लेम नहीं मिलने पर नाराजगी जताई। शत-प्रतिशत किसानों को फसल बर्बादी का मुआवजा देने की मांग की। डीएम ने हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।
जनपद में 24514 किसानों का फसल बीमा है, लेकिन बारिश के चलते फसल की हुई बर्बादी के बाद मात्र 2300 क्लेम आए हैं। जागरूकता के अभाव में अन्नदाता कृषि विभाग और बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर क्लेम करने से चूक गए। इसके चलते उन्हें क्षतिपूर्ति से वंचित होना पड़ेगा। इसको लेकर किसानों में नाराजगी दिखी। बोले, बैंकों की ओर से किसान क्रेडिट कार्डधारक खाताधारकों का फसल बीमा कर दिया गया। बिना सूचित किए हर साल प्रीमियम राशि खाते से बीमा कंपनी को भेज दी जाती है, लेकिन इसकी न तो कोई पालिसी बांड अथवा कागजात दिया गया और न ही कभी जागरूक किया गया। इसके चलते 90 फीसद किसान क्लेम नहीं कर पाए। बैंक व बीमा कंपनी के प्रतिनिधि अब क्षतिपूर्ति दिलाने से इन्कार कर रहे हैं। ऐसे में काफी अहित होगा। स्थिति यह हो गई है किसान बैंकों में जाकर फसल बीमा प्रीमियम के तौर पर काटी गई धनराशि वापस करने की मांग कर रहे हैं। इसका कोई न कोई हल ढूंढ़ा जाना चाहिए। कहा दिसंबर माह के पहले पखवारे में ही सर्वे का काम पूरा कर लिया गया, लेकिन पीएम फसल बीमा योजना के नियम के मुताबिक तत्काल मिलने वाली 25 फीसद धनराशि अभी तक खाते में नहीं भेजी गई। जिलाधिकारी ने समस्या का हल ढूंढ़ने का भरोसा दिया। कहा जिले को आपदाग्रस्त घोषित करने के लिए रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। शासन ने लघु व सीमांत किसानों का डाटा मांगा है। एक-दो दिन में डाटा भेज दिया जाएगा। किसानों को 51 हजार 150 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दो हेक्टेयर तक की क्षतिपूर्ति मिलने की उम्मीद है। 20 जनवरी से गंगा नहर में पानी छोड़ दिया जाएगा, ताकि रबी फसलों की सिचाई में परेशानी का सामना न करना पड़े। मुख्य विकास अधिकारी डा. एके श्रीवास्तव, कृषि उपनिदेशक विजय सिंह, जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार भारती, किसान रतन सिंह, दीनानाथ श्रीवास्तव व अन्य मौजूद थे।