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फिर बढ़ा प्रदूषण, एक्यूआइ 315 पर पहुंचा

खुर्जा और सिकंदराबाद क्षेत्र में चलने वाली फैक्ट्रियों की चिमनी लगातार काला धुआं उगल रही हैं। इससे लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्र के आस-पास रहने वाली लोगों का बुरा हाल है लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है। बीते दिनों कुछ फैक्ट्रियों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर ली गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 11:41 PM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 11:41 PM (IST)
फिर बढ़ा प्रदूषण, एक्यूआइ 315 पर पहुंचा
फिर बढ़ा प्रदूषण, एक्यूआइ 315 पर पहुंचा

जेएनएन, बुलंदशहर। खुर्जा और सिकंदराबाद क्षेत्र में चलने वाली फैक्ट्रियों की चिमनी लगातार काला धुआं उगल रही हैं। इससे लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्र के आस-पास रहने वाली लोगों का बुरा हाल है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है। बीते दिनों कुछ फैक्ट्रियों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर ली गई है।

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प्रदूषण का स्तर अभी कम नहीं हुआ है। जिले की हवा अब भी बेहद खराब स्थिति में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में एक्यूआइ 315 दर्ज किया गया है। जो रेड जोन में है। इसका मुख्य कारण फैक्ट्रियों से निकलने वाला काला धुआं है। खुर्जा और सिकंदराबाद क्षेत्र में संचालित होने वाली फैक्ट्रियों की चिमनियों से दिन-रात निकलने वाला काला धुआं वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा है। बढ़ते प्रदूषण से बच्चों, वृद्धों और अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हवा की गुणवत्ता खराब होने के चलते लोगों ने मार्निंग वाक पर जाना बंद कर दिया है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी आशुतोष चौहान का कहना है कि प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा रही है। प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को संचालित नहीं होने दिया जाएगा। - कार्रवाई के बाद भी चल रही फैक्ट्री

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने टीम के साथ बीते दिनों खुर्जा में कार्रवाई की थी। इसके बावजूद फैक्ट्री की चिमनी काला धुआं उगल रही हैं। जिससे प्रदूषण बोर्ड की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर कार्रवाई के बाद भी फैक्ट्री धुआं कैसे उगल रही हैं। - हर साल होती है कार्रवाई

फैक्ट्रियों पर हर साल कार्रवाई की जाती है। जांच में हर बार फैैक्ट्रियों के पास जल-वायु प्रदूषण के नियंत्रण को कोई इंतजाम नहीं मिलते हैं। जिसके बाद फैक्ट्री को नोटिस देकर मशीन तक सील की जाती है, लेकिन यह मशीनें ज्यादा दिन तक सील नहीं रहती है। इसके बाद साठगांठ कर फिर संचालित कर लिया जाता है।


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