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बलिदानियों को श्रद्धांजलि, वंशजों को किया सम्मानित

12 सितंबर 1930 में बलिदान देने वाले क्षेत्र के नौ वीर सपूतों की बरसी पर विभिन्न राजनैतिक दलों और एनसीसी कैडेट््स ने बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 11:25 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 05:02 AM (IST)
बलिदानियों को श्रद्धांजलि, वंशजों को किया सम्मानित
बलिदानियों को श्रद्धांजलि, वंशजों को किया सम्मानित

बुलंदशहर, जेएनएन। 12 सितंबर 1930 में बलिदान देने वाले क्षेत्र के नौ वीर सपूतों की बरसी पर विभिन्न राजनैतिक दलों और एनसीसी कैडेट््स ने बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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शनिवार को शहीद स्मारक पर शहीद दिवस मनाया गया। पालिकाध्यक्ष काले खां कुरैशी, अधिशासी अधिकारी मुक्ता सिंह ने शहीदों को पुष्प अर्पित किए। पूर्व पालिकाध्यक्ष मंगतराम पाल, जिला बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जगतपाल सिंह, एडवोकेट मुकेश शर्मा आदि ने शहीदों को पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। भाजपा, कांग्रेस, भाकियू पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने भी बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। डीएन इंटर कालेज की प्रबंध समिति के पदाधिकारियों, शिक्षकों व एनसीसी कैडेटों ने भी शहीद स्मारक पहुंच शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। वहीं, डीएन इंटर कालेज में शहीद दिवस के उपलक्ष्य में प्रबंध समिति अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह लौर, चौधरी विजेंद्र सिंह, सुनील गोयल, श्याम सुंदर गुप्ता प्रधानाचार्य आदि ने शहीदों के वंशजों को शॉल ओढ़ाकर व फूलमाला पहनाकर सम्मानित किया। शहीदों की उपेक्षा से आहत दिखे शहीदों के वंशज

संवाद सहयोगी, गुलावठी: 12 सितंबर का दिन गुलावठी के लिए काफी अहम दिन माना जाता है। 1930 में ब्रिटिश शासनकाल में क्षेत्र के नौ वीर सपूतों ने देश के लिए अपनी शहादत दी थी। शहीद स्मारक नौ वीर सपूतों की शहादत का गवाह बना हुआ है। शहीद दिवस पर डीएन इंटर कालेज में आयोजित सम्मान समारोह में भाग लेने पहुंचे शहीदों के वंशज शहीदों की उपेक्षा को लेकर काफी आहत दिखाई दिए। उनका कहना था कि तीन दशक पूर्व शहीदों की याद में शहीद मेले का आयोजन काफी बड़ी स्तर पर होता था, जिसमें केंद्र व प्रदेश के मंत्री शिरकत करते थे लेकिन शहीद दिवस पर रस्म अदायगी होकर रह गई है। शहीदों के वंशजों ने सरकारी तंत्र के साथ क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों पर भी शहीदों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए शासन व प्रशासन से शहीद दिवस को यादगार दिन के रूप में मनाने की मांग की।


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