वेदों में ही संसार का हित निहित : शंकराचार्य
श्री रुक्मिणी बल्लभ धाम संस्कृत महाविद्यालय अहार में तीन दिवसीय प्रवचन संगोष्ठी और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में मंगलवार को पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने श्रद्धालुओं की आध्यात्म और राष्ट्र से जुड़ी जिज्ञासाओं का शास्त्रीय ढंग से समाधान किया।
बुलंदशहर, जेएनएन। श्री रुक्मिणी बल्लभ धाम संस्कृत महाविद्यालय अहार में तीन दिवसीय प्रवचन संगोष्ठी और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में मंगलवार को पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने श्रद्धालुओं की आध्यात्म और राष्ट्र से जुड़ी जिज्ञासाओं का शास्त्रीय ढंग से समाधान किया। धर्म और राष्ट्रवाद के पथ पर चलने के लिए श्रद्धालुओं को प्रेरित किया।
अहार के अवंतिका देवी मंदिर के समीप स्थित श्री रुक्मिणी बल्लभ धाम संस्कृत महाविद्यालय में रविवार शाम गोवर्धन मठ पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी तीन दिवसीय प्रवचन संगोष्ठी और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के लिए पहुंचे थे। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि वेदों से ही सृष्टि की संरचना हुई है। वेदों के अध्ययन के लिए समाज को आगे आना चाहिए। वेदों में ही हमारी सारी शंकाओं के समाधान मौजूद हैं। गणित वेदों की ही देन है। गणित नहीं होता तो आज विज्ञान का कोई महत्व नहीं होता है। आज वैज्ञानिक भी यंत्र, तंत्र और मंत्र पर ही निर्भर हैं। उन्होंने गीता के महत्व को समझाते हुए कहा कि गीता का नियमित अध्ययन करना चाहिए। अध्यय से हमें अपने कर्म का बोध होता है। कर्म और धर्म जीवन की धूरी है। हम सद कर्म के माध्यम से धर्म का पालन करते हुए राष्ट्र की सेवा कर सकते है। स्वजनों और मित्र के साथ जैसे श्रद्धा के साथ प्रेम करते है वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ भी करें। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने शंकराचार्य का आशीर्वाद लेने के बाद प्रश्न पूछकर अपनी शंकाओं का समाधान किया। इस दौरान महाविद्यालय के महंत महानंद ब्रह्मचारी सहित अनेकों श्रद्धालु मौजूद रहे।