औषधीय पौधों की खुशबू से महकी प्रीती की वाटिका
कोरोना संक्रमण का कहर टूटते ही लोग जड़ी-बूटी का महत्व समझने लगे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अब उनका रुझान औषधीय पौधे लगाने की ओर बढ़ने लगा है। नतीजन जंगलों में उगने वाली गिलोय की बेल अब घर-आंगन की शोभा बढ़ा रही है। शिक्षिका प्रीति चौधरी के प्रीत विहार स्थित घर में न केवल गिलोय की बेल लहलहा रही है बल्कि अन्य लोगों के आंगन तक पहुंचाने के लिए यह इसकी पौध भी तैयार कर रहीं हैं।
जेएनएन, बुलंदशहर। कोरोना संक्रमण का कहर टूटते ही लोग जड़ी-बूटी का महत्व समझने लगे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अब उनका रुझान औषधीय पौधे लगाने की ओर बढ़ने लगा है। नतीजन, जंगलों में उगने वाली गिलोय की बेल अब घर-आंगन की शोभा बढ़ा रही है। शिक्षिका प्रीति चौधरी के प्रीत विहार स्थित घर में न केवल गिलोय की बेल लहलहा रही है बल्कि अन्य लोगों के आंगन तक पहुंचाने के लिए यह इसकी पौध भी तैयार कर रहीं हैं।
सिकंदराबाद ब्लाक के सुनपेड़ा उच्च प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका प्रीति चौधरी ने गिलोय की बेल घर में लगाई। लोगों की मुश्किल आसान करने के लिए इसकी पौध भी तैयार करने लगी। उनका यह प्रयास रंग लाया। अब परिचितों उनके यहां गिलोय की पौध लेने पहुंचते हैं। जो उनके यहां तक नहीं पहुंच पाते उनके पास वह खुद पहुंचती हैं और उनके घर आंगन में गिलोय की पौध रोपती हैं। अब पड़ोसी भी हो रहे प्रेरित
गिलोय के अलावा वातावरण को शुद्ध करने वाले पौधे भी उनके घर में खूब फल-फूल रहे हैं। एलोवेरा, तुलसी, स्नेक प्लांट के अलावा, गुलाब, गेंदा जैसे पौधों की सुगंध आंगन को महका रही है। घर आने वाले आगंतुक को वह पौधारोपण करने के लिए भीे प्रेरित करती हैं। घर में लगाई बगिया की खुद बच्चों के साथ देखभाल करतीं हैं। उनका प्रयास देख अन्य पड़ोसी भी अब प्रेरित हो रहे हैं। इन्होंने कहा..
कोरोना काल में रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय का महत्व काफी बढ़ गया। इसे खोजना न पडे़ और जंगल की बजाय घर में ही यह मिल जाए, इसलिए इसकी पौध तैयार कर रहीं हूं। ताकि लोगों तक यह आसानी से पहुंच सके।
प्रीति चौधरी, शिक्षिका