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मोक्षदायिनी के लिए खुले मन के द्वार, स्वच्छता का रथ होगा पार

गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए शुरू हुई अश्वमेघ रूपी गंगा यात्रा का रथ बुधवार सुबह गंगा अर्चना के बाद जिले से संभल के लिए रवाना हो गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 11:28 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 11:28 PM (IST)
मोक्षदायिनी के लिए खुले मन के द्वार, स्वच्छता का रथ होगा पार
मोक्षदायिनी के लिए खुले मन के द्वार, स्वच्छता का रथ होगा पार

बुलंदशहर, जेएनएन। गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए शुरू हुई अश्वमेघ रूपी गंगा यात्रा का रथ बुधवार सुबह गंगा अर्चना के बाद जिले से संभल के लिए रवाना हो गया। रथ बेशक जिले से अपनी अखंड यात्रा पर रवाना हुआ हो, लेकिन जिले वासियों के मन के द्वार हमेशा के लिए खोल गया। गंगा को अभी तक सिर्फ पूजनीय मानने वाले लोग भी अब गंगा को बचाने और उसकी स्वच्छता को लेकर चर्चाओं में लीन है। साथ ही मोक्षदायिनी के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर भी मंथन शुरू हुआ है।

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सदानीरा के किनारे बसे बुलंदशहर की हवाओं में गंगा जल की पवित्रता सदियों से रही है। यहां अपनी बात को वजन देने और सत्यता का प्रतीक बनाने के लिए भी गंगा की सौगंध सबसे बड़ी मानी जाती रही है। ऐसे में जिले में पहुंचा गंगा यात्रा के रथ ने लोगों के मन में गंगा के प्रति अपार आस्था का सैलाब लाने के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह की चेतना भी जगा दी है। गंगा यात्रा का सबसे अधिक असर गंगा किनारे के गांवों में नजर आया। यूं तो प्रशासन ने तमाम तैयारियों यात्रा के स्वागत के लिए अपने स्तर से की थी, लेकिन किनारे के गांव और यहां रहने वाले लोगों का उत्साह कल्पना से परे दिखा। करीब छह घंटों की देरी से यात्रा अपने पड़ाव अनूपशहर में रात आठ बजे के बाद पहुंची और यहां से राजघाट पार कर नरौरा का सफर शुरू हुआ। खुद रथ के अंदर सवार अतिथि भी देर और सर्द रात में सड़क के किनारे हाथ में फूल लिए खड़े ग्रामीणों को देखकर हैरान थे। मां गंगे के लिए ऐसा उत्साह और आस्था अर्से बाद नजर आई थी। हर कोई इस महा आयोजन का हिस्सा बनने के लिए बेताब था। हमारी मां है गंगा

गंगा किनारे पर बसे 32 गांवों पर प्रशासन का अधिक ध्यान था, यहां स्वच्छता के साथ तमाम योजनाओं को लेकर तैयारी की गई थी। लेकिन खुद ग्रामीणों ने अपनी जिम्मेदारी समझी और गंगा यात्रा के स्वागत की तैयारियों में जुट गए। सड़क किनारे गंगा यात्रा के स्वागत के लिए रात करीब दस बजे खड़े ग्रामीणों ने बताया कि गंगा के लिए सरकार गंभीर है और यात्रा निकला रही है। जबकि हम तो खुद गंगा किनारे पर सदियों से बसे हुए हैं, गंगा हमारी मां है और हमारी कई पीढि़यों ने यहां गंगे के किनारे पर मुक्ति पाई है। बनाएंगे योजना, जुड़ेंगे लोग

गंगा यात्रा ने लोगों ने गंगा स्वच्छता और संरक्षण के लिए ऊर्जा का संचार किया है। गंगा किनारे बसे गांव और कस्बों के साथ शहर में भी गंगा की स्वच्छता कायम रखने की योजना तैयार करने पर मंथन शुरू हो गया है। गंगा सेवा समिति, सामाजिक संगठन, छात्र संघ, पर्यावरण संतुलन जलवायु सुरक्षा आंदोलन, साधू और संत, व्यापारी वर्ग आदि के बीच अब सिर्फ गंगा की अविरलता को लेकर चर्चाएं हैं।


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