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आवारा कुत्तों के आतंक से नहीं मिल रही निजात

तमाम दावे और प्रयास के बाद भी बुलंदशहरवासियों को आवारा आतंक से निजात नहीं मिल रही है। आवारा कुत्तों के साथ ही पालतू कुत्तों का आतंक भी जिले में कम नहीं है। कुत्ते के शिकार लोगों को ज्यादा दर्द तब होता है जब उनको एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पतालों में भटकना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 11:33 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 11:33 AM (IST)
आवारा कुत्तों के आतंक से नहीं मिल रही निजात
आवारा कुत्तों के आतंक से नहीं मिल रही निजात

जेएनएन, बुलंदशहर। तमाम दावे और प्रयास के बाद भी बुलंदशहरवासियों को आवारा आतंक से निजात नहीं मिल रही है। आवारा कुत्तों के साथ ही पालतू कुत्तों का आतंक भी जिले में कम नहीं है। कुत्ते के शिकार लोगों को ज्यादा दर्द तब होता है जब उनको एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पतालों में भटकना पड़ता है।

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जिले में दो लाख से अधिक कुत्ते हैं। कुत्तों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जब कुत्तों के हमले बढ़ते हैं या कुत्ते काटने से कोई मौत होती है तो आवारा आतंक की रोकथाम के लिए हाय तौबा होती है। इसके बाद सब भूल जाते हैं। पिछले तीन साल में चार लोगों की कुत्ता काटने से मौत हुई। जिले में औसतन प्रतिदिन पांच सौ लोग आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों का शिकार होते हैं। अकेले जिला अस्पताल में प्रतिदिन 150 से अधिक मरीजों को एआरवी लगती है। कुत्ता काटे के मरीज रैबीज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं। शहरी क्षेत्र और आसपास के गांवों के लोग जिला अस्पताल में एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) लगवाने के लिए आते हैं जबकि गांव के लोग संबंधित सीएचसी पर पहुंचते हैं लेकिन सीएचसी पर एंटी रैबीज वैक्सीन का टोटा रहता है। परेशान मरीज सीएचसी पर इंजेक्शन ना लगने पर जिला अस्पताल के लिए दौड़ लगाते हैं। कई बार जिला अस्पताल पहुंचने तक मरीज लेट हो जाता है और ओपीडी का समय निकल जाता है। बिना इंजेक्शन लगवाए ही मरीज को वापस लौटना पड़ता है। कोई नहीं लाइसेंस

-पालिका ने आज तक किसी भी व्यक्ति को कुत्ता पालने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया है। पालिका कहना है कि महानगरों में ऐसी व्यवस्था होगी यहां पर नहीं है। दो दिन चला अभियान

-वर्ष 2019 में जिला अस्पताल में एक बच्ची पर कुत्तों का हमला होने के बाद पालिका ने अभियान चलाया। दो दिन अभियान चला और तीन कुत्ते पकड़े गए। इसके बाद अभियान बंद हो गया। इन्होंने कहा

जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी तक पर एआरवी की पूरी व्यवस्था है। स्टोर में भी स्टाक है। वैक्सीन की कहीं कोई कमी नहीं है।

डा. भवतोष शंखधर-सीएमओ कुत्ते पकड़ने के लिए टेंडर किया गया है। जल्द ही शहरी क्षेत्र में कुत्ते पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा।

मनोज रस्तोगी, ईओ पालिका


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