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कहीं बेसब्री से इंतजार, कुछ होठों पर थिरकती दिखी मुस्कान

जिले में जिला पंचायत चुनाव की दो माह से पर्दे के पीछे रफ्ता-रफ्ता चल रही तैयारियों को शनिवार को मुकाम मिल गया। भगवा खेमा जो चाहता था वहीं हुआ। बस हम. की रणनीति को लेकर अंतुल खेमे ने शतरंज पर जो बिसात सजाई थी उसमें आखिर विपक्ष मात खा गया। हर कदम पर सत्ता की धमक के बीच जीत का मंसूबा पाल रहे विपक्ष की कोशिश तार-तार हो गई। नामांकन पत्र खरीदने की जंग जीतने वाले आशा यादव खेमा लाख कोशिश के बाद भी नामांकन कक्ष तक नहीं पहुंच पाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Jun 2021 11:11 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jun 2021 11:11 PM (IST)
कहीं बेसब्री से इंतजार, कुछ होठों पर थिरकती दिखी मुस्कान

लोकेश पंडित, बुलंदशहर।

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जिले में जिला पंचायत चुनाव की दो माह से पर्दे के पीछे रफ्ता-रफ्ता चल रही तैयारियों को शनिवार को मुकाम मिल गया। भगवा खेमा जो चाहता था, वहीं हुआ। बस हम. की रणनीति को लेकर अंतुल खेमे ने शतरंज पर जो बिसात सजाई थी, उसमें आखिर विपक्ष मात खा गया। हर कदम पर सत्ता की धमक के बीच जीत का मंसूबा पाल रहे विपक्ष की कोशिश तार-तार हो गई। नामांकन पत्र खरीदने की जंग जीतने वाले आशा यादव खेमा लाख कोशिश के बाद भी नामांकन कक्ष तक नहीं पहुंच पाया।

भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य चुनाव के साथ ही अध्यक्ष पद पर कब्जे का एलान किया था। इसी कारण सभी 52 सीटों पर समर्थित प्रत्याशी खड़े किए थे। चुनाव में भाजपा को मात्र दस सीटें मिलीं। इससे अध्यक्ष पद पर काबिज होने के भाजपा के मंसूबे को झटका लगा। बावजूद इसके भाजपा के रणनीतिकारों ने अध्यक्ष पद पर काबिज होने को चैलेंज के रूप में लिया। 28 निर्दलीय सदस्यों को साधने के साथ ही विपक्ष में बिखराव करने की रणनीति तैयार की गयी। दूसरी ओर सपा-रालोद ने एकजुट होकर जिस तरह मजबूत मोर्चेबंदी की, उसने सत्तापक्ष में बैचेनी पैदा की। विपक्ष की ओर से प्रत्याशी बनाए गए आशा यादव व उनके पैरोकारी की घेराबंदी पर रणनीतिक रूप से काम किया गया। यहीं वजह रही कि कारोबारी और सामाजिक दोनों ओर से विपक्ष की घेराबंदी की गयी। बुधवार को आशा यादव के पैरोकार व रणनीतिकार सुनील चरौरा के आवास पर पुलिस कार्रवाई, सिकंदराबाद में हरेन्द्र यादव के कॉलेज में छापेमारी ओर शनिवार को सुनील चरौरा, गीता चरौरा, पिटू प्रमुख के खिलाफ दुष्कर्म का मामला व हरेन्द्र यादव के खिलाफ जाति सूचक शब्दों का प्रयोग व खरीद-फरोख्त के आरोप में दर्ज रिपोर्ट को इसी दबाव की कड़ी माना जा रहा है। हालांकि, पुलिस इससे इन्कार करती है।

शनिवार सुबह सुनील चरौरा, हरेन्द्र यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के बाद लगभग तय था, वह नामांकन नहीं कर पाएंगे। बावजूद इसके रालोद-सपा नेता जिला कार्यालय पर जमे रहे। कई समर्थक व मीडिया भी नामांकन कक्ष के बाहर उनका बेसब्री से इंतजार करता रहा। वहीं हुआ, न आशा आई न ही गीता चरौरा। दोनों के समर्थकों का कहना था, उन्हें सुबह ही हिरासत में ले लिया गया था। इसकी पुष्टि किसी ने नहीं की, लेकिन जैसे ही घड़ी की सूई तीन बजे से आगे खिसकी भगवा खेमे के चेहरों पर खुशी गहरा गई और हाथ ऊपर उठकर एकाएक विक्टरी निशान दिखाने लगे। आखिर उनकी मुराद जो पूरी हो गयी थी।


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