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शादी की साड़ी पहन मेडल लेने पहुंची बलिदानी आशुतोष की पत्नी

जेएनएन बुलदंशहरजम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में 3 मई 2020 को आंतकियों से लड़ते हुए शहीद हुए कर्नल आशुतोष को गणतंत्र दिवस पर मरणोपरांत सेना मेडल दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 10:45 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 10:45 PM (IST)
शादी की साड़ी पहन मेडल लेने पहुंची बलिदानी आशुतोष की पत्नी
शादी की साड़ी पहन मेडल लेने पहुंची बलिदानी आशुतोष की पत्नी

जेएनएन, बुलदंशहर:जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में 3 मई 2020 को आंतकियों से लड़ते हुए शहीद हुए कर्नल आशुतोष को गणतंत्र दिवस पर मरणोपरांत सेना मेडल दिया गया। दिल्ली में आयोजित समारोह में लोगों की आंखें उस समय भर गयी जब कर्नल आशुतोष की पत्नी पल्लवी शादी की साड़ी व अपने पति की लहू लगी घड़ी पहनकर मेडल लेने पहुंची। शहीद आशुतोष शर्मा मूल रूप से जनपद बुलंदशहर के गांव परवाना के रहने वाले थे।

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वीर शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा जनपद बुलंदशहर के डीएवी इंटर कालेज से इंटरमीडिएट और डीएवी डिग्री कालेज से बीएससी करने बाद सेना में भर्ती हुए थे। अब उनका परिवार जयपुर के सिंहनादपुर में रहता है। 21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिग आफिसर रहे शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा जम्मू कश्मीर में कई मिशन के हिस्सा रह चुके थे। शहीद आशुतोष शर्मा को दो बार वीरता पुरस्कार मिल चुका है। वह दोनों बार पत्नी पल्लवी शर्मा साथ पुरस्कार लेने गए थे। वीरगति के बाद जब कर्नल को सेना मेडल दिया जाना था तो इस बार पल्लवी के साथ उनके पति आशुतोष नहीं थे। पति आशुतोष की कमी को पल-पल महसूस कर रही थी। पल्लवी को यह मेडल अपनी बेटी के साथ लेने जाना था। पल्लवी ने अपने मन का दर्द बयां करते कहा कि जब दो बार मैं आशु के साथ सेना मेडल लेने गई तो हर बार मैने उनसे पूछा कि कौन सी साड़ी पहनकर जाऊं। इस बार किससे पूछती, तो मैंने शादी की साड़ी पहन ली। यह साड़ी मेरे पति को बहुत पसंद थी। मैंने कलाई पर अपने पति की घड़ी पहनी जिस पर लगा उनका लहू मैंने आज तक नहीं पोछा है। मैं अपने पति के लिये तैयार हो रही थी। इसलिए मैंने अपने बालों को फूलों से सजाया था और वही फूल मैने आशु को अर्पित किया। अपने पति के मेडल को सीने पर सजाकर उन्हें याद किया।

वीर शहीद आशुतोष शर्मा के नाम से उनके गांव पैतृक गांव परवाना में तीन किमी की सड़क बनाई गई है। शहीद के चचेरे भाई सोनू पाठक ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 लाख और गौरव द्वारा बनाये जाने की घोषणा की थी। लेकिन अभी तक गांव में गौरव द्वार नहीं बनाया गया है।


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