पटरी पर लौटने के इंतजार में पॉटरी उद्योग
विश्व फलक पर अपनी हनक दिखाने वाला पॉटरी उद्योग कोरोना के कारण लगे ला
बुलंदशहर, जेएनएन। विश्व फलक पर अपनी हनक दिखाने वाला पॉटरी उद्योग कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद अभी उभर नहीं सका है। पॉटरी मजदूरों का पलायन के बाद लौटकर नहीं आना और माल के नये आर्डर बहुत कम मिलना उद्योग के सामने चुनौती बना हुआ है। ऐसे में कारोबारियों को काफी परेशानियां हो रही हैं और उद्योग को पटरी पर लाने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि, अनलॉक होने के बाद धीरे-धीरे कारोबारी उद्योग को पटरी पर लाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। बाजार में माल की डिमांड बढ़ने की आस में ही सौ से अधिक इकाइयां अभी शुरू नहीं हो सकी हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस स्थिति को सामान्य होने में कितना वक्त लगेगा।
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उद्योग पर एक नजर
14वीं शताब्दी में रखी गई थी पॉटरी उद्योग की नींव।
1010 - दो दशक पहले भी इकाईयां
230 - बड़ी इकाइयां हैं अब
130 - छोटी इकाइयां हैं अब
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लॉकडाउन से पहले का कारोबार..
25 - देशों से मिल रहे थे कारोबारियों को आर्डर
40 - फीसदी कारोबार था विदेशों में
60 - फीसदी देश में विभिन्न राज्यों में था कारोबार
25 - हजार मजदूरों को प्रत्यक्ष रूप से मिला रहा था रोजगार
45 - हजार मजदूर की अप्रत्यक्ष रूप से चल रही थी रोजी-रोटी
100 - फीसद थी बाजार में क्रॉकरी उत्पादों की मांग।
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लॉकडाउन काल में स्थिति
18 - हजार बाहरी मजदूरों ने किया पलायन
25 - देशों से मिले आर्डर भी हुए रद।
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आनलॉक की स्थिति
5 - देशों से ही मिल सका नये माल का आर्डर
10 - फीसदी देश ही देश में रह गई क्रॉकरी की मांग
40 - उद्योग ही पूरी तरह से हो सके हैं शुरू
1500 - हजार मजदूर ही बाहर से वापस लौटे
10 - फीसदी रह गई बाजार में क्रॉकरी की मांग
4,000 - मजदूरों को ही मिल रहा प्रत्यक्ष रूप से रोजगार
3,000 - मजदूरों को अप्रत्यक्ष रूप से मिल रहा रोजगार
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कोट-
पॉटरी मजदूरों का अपने घर जाना और नए आर्डर नहीं मिलना सबसे अधिक परेशानी है। यहीं कारण है कि कुछ ही उद्योग ही शुरू हो चुके हैं। जिनके सामने भी तैयार उत्पाद को बिक्री करने की सबसे बड़ी समस्या है। क्योंकि बाजार में क्रॉकरी की मांग बहुत ही कम रह गई है।
--रवि राणा, अध्यक्ष, खुर्जा पॉटरी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन। अभी महज 35 से 40 पॉटरी ही शुरू हो सकी हैं। जिनमें स्थानीय लोगों से किसी तरह कार्य लिया जा रहा है। फिर भी कारोबारियों के सामने कठिनाई इस बात कि हैं कि अभी बाजार में उन्हें नए आर्डर नहीं मिल पा रहे हैं। जिस कारण उद्योग को चलाने में कोई फायदा दिखाई नहीं दे रहा हैं।
--संजय गुप्ता, सचिव केपीएमए।