सूदखोरों के डर से खाया था जहर, 50 हजार के बनाए नौ लाख
देहात कोतवाली क्षेत्र के भूड़ चौराहे पर चाय की दुकान करने वाले एक परिवार ने सूदखोरों के डर से जहर खाया था। इसमें परिवार के मुखिया की पत्नी की मौत हो गई थी। जबकि परिवार के मुखिया और उसके बेटे की मेरठ में उपचार के दौरान जान बची है। उसके गांव के तीन सूदखोरों ने पीड़ित पर 50 हजार रुपये के नौ लाख रुपये बना दिए और उसकी जमीन व घेर पर कब्जा कर लिया। पुलिस ने तीनों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि आरोपित अभी फरार हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। देहात कोतवाली क्षेत्र के भूड़ चौराहे पर चाय की दुकान करने वाले एक परिवार ने सूदखोरों के डर से जहर खाया था। इसमें परिवार के मुखिया की पत्नी की मौत हो गई थी। जबकि परिवार के मुखिया और उसके बेटे की मेरठ में उपचार के दौरान जान बची है। उसके गांव के तीन सूदखोरों ने पीड़ित पर 50 हजार रुपये के नौ लाख रुपये बना दिए और उसकी जमीन व घेर पर कब्जा कर लिया। पुलिस ने तीनों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि आरोपित अभी फरार हैं।
मूल रूप से गांव काहिरा के रहने वाले बीलबीर, उसकी पत्नी रामवती और बेटे दिन्नी उर्फ दीपक ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की थी। यह घटना 19 अक्टूबर की रात की है। जिसके बाद तीनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर रामवती की मौत हो गई। बलबीर और उसके बेटे को मेरठ रेफर कर दिया था। बलबीर को 21 अक्टूबर को होश आया तो पुलिस ने उसके बयान लिए। बयानों में उसने बताया कि उसने गांव के ही नेत्रपाल पुत्र धनपाल, योगेंद्रपाल पुत्र सरजीत, देवेश पुत्र योगेंद्रपाल से 50 हजार रुपये करीब दो साल पहले उधार लिए थे। इसकी एवज में सूदखोरों ने बलबीर पर अब लगभग ब्याज लगाकर नौ लाख रुपये बैठा दिए। बलबीर पैसा नहीं दे पाया तो आरोपितों ने उसकी जमीन पर कब्जा करके जोतना शुरू कर दिया। कुछ दिन पहले बलबीर के घेर पर भी आरोपितों ने कब्जा कर लिया। जिस कारण बलबीर बेहद हताश हो गया और उसने परिवार के साथ मरने की ठान ली थी। देहात कोतवाली के कार्यवाहक प्रभारी दलबीर सिंह ने बताया कि बलबीर के बेटे हरकेश की तरफ से तीनों सूदखोरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। गांव से करना पड़ा था पलायन
बलबीर ने पुलिस को बताया कि जब तीनों सूदखोरों ने उस पर रुपये लेने का अधिक का दबाव बनाया तो उसने गांव छोड़ने का फैसला लिया। इसके बाद वह गांव से पलायन करके भूड़ चौराहे पर सड़क किनारे पालीथीन डालकर अपने परिवार के साथ रहने लगा। बड़ा बेटा हरकेश दिल्ली में रहकर मजदूरी करने लगा।