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फोटो, 11 : 33 करोड़ 75 लाख का नुकसान उठा रहा ईंट-भट्ठा कारोबार

समस्या - प्रदूषण का ग्राफ नीचे लाने के लिए मुफीद साबित नहीं हुई जिग-जैग तकनीक - एनजीटी के

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 05:48 PM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 05:48 PM (IST)
फोटो, 11 : 33 करोड़ 75 लाख का नुकसान उठा रहा ईंट-भट्ठा कारोबार
फोटो, 11 : 33 करोड़ 75 लाख का नुकसान उठा रहा ईंट-भट्ठा कारोबार

समस्या :

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- प्रदूषण का ग्राफ नीचे लाने के लिए मुफीद साबित नहीं हुई जिग-जैग तकनीक

- एनजीटी के आदेश पर चार माह से संचालन बंद होने से रोजगार पर पड़ रहा असर

प्रशांत गौड़ बुलंदशहर : शासन ने ईंट-भट्ठों को जिग-जैक तकनीक के आधार यह सोचकर अपडेट कराया कि इससे हवा में घुल रहा जहर कुछ कम होगा। यह व्यवस्था प्रदूषण का ग्राफ नीचे लाने और कारोबार के लिए मुफीद साबित नहीं हुई है।एनसीआर क्षेत्र के ईंट-भट्ठा संचालकों को लाखों रुपये खर्च करने बाद भी करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। एनजीटी के आदेश पर करीब चार माह से ईंट-भट्ठे बंद होने पर जिले के कारोबारियों को करीब पौने 34 करोड़ का नुकसान हुआ है। दरअसल, ईंट-भट्ठा उद्योग का सत्र एक अक्टूबर से 30 सितंबर तक रहता है। इनमें से जून से सितंबर तक बरसात के मौसम में ईंट-भट्ठे बंद रहने पर चिमनियां धुआं नहीं उगलती हैं। सरकार को एक ईंट-भट्ठा संचालक औसतन पूरे साल का करीब छह लाख रुपये टैक्स चुकाता है। ईंटों के लिए मिट्टी, पथाई के लिए किराए पर ली गई भूमि का करीब दस लाख रुपये सालाना किराया भी किसान को एंडवास दिया जाता है। कर्मचारी, पैथेर, श्रमिक आदि पर करीब दस लाख रुपये सालाना खर्च करते हैं। इसके अलावा सालभर में करीब पांच लाख का अन्य खर्चा भी वहन करते हैं। कुल मिलाकर करीब 26 लाख रुपये साल भर में एक ईंट-भट्ठा संचालक को औसतन खर्च उठाना पड़ता है। जिले में करीब 375 ईंट-भट्ठा संचालित हैं। अब चार माह से ईंट-भट्ठों का संचालन बंद हैं। ऐसे में एक ईंट-भट्ठा संचालक को इन चार माह में करीब नौ लाख रुपये का नुकसान हुआ है। इस प्रकार जिले के सभी ईंट-भट्ठा संचालकों को करीब 33 करोड़ 75 लाख का नुकसान उठाना पड़ रहा हैं। यह पड़ रहा असर

ऐसा नहीं की ईंट-भट्ठों का चार माह से संचालन नहीं होने पर सिर्फ संचालकों को ही नुकसान हो रहा है। इसकी वजह से सरकार को भी लाखों रुपये राजस्व की हानि हो रही है। श्रम विभाग की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी श्रमिक वर्ग नहीं ले पा रहा है। ईंट मूल्य बढ़ रहा है। जिसका असर भवन निर्माण की लागात पर पड़ रहा है। ईंट-भट्ठों पर प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाना गलत

जनपद ईंट निर्माता समिति के मीडिया प्रभारी संजय गोयल का कहना है कि ईंट-भट्ठे इतना प्रदूषण नहीं फैलाते, जितना कि अन्य कारणों से फैलता है। लाकडाउन के दौरान ईंट-भट्ठों का संचालन इस बात का सबूत है। सरकार के निर्देश पर कोरोना काल में ईंट-भट्ठों का संचालन कराकर कामगारों को दिलाया। उस समय वाहनों का संचालन बंद था। प्रदूषण फैलाने के अन्य कारण शांत थे। तब एक्यूआइ 50 अंक तक ही पहुंच सका। जबकि आज एक्यूआइ 300 से भी कम है। गुरुवार को एक्यूआइ 298 दर्ज किया गया है। ऐसे में ईंट-भट्ठों से प्रदूषण फैलने का आरोप लगाना गलत है। ...

प्रशांत


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