बायोडीजल के नाम पर जनता से हो रहा धोखा
जनपद में बायोडीजल के नाम पर मिलावटी डीजल ग्राहकों को बेचा जा रहा है। हाईवे और संपर्क मार्गों पर खुले ऐसे पंपों पर बायोडीजल के नाम पर अन्य आयल या नकली डीजल बेचकर उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी हो रही है।
जेएनएन, बुलंदशहर। जनपद में बायोडीजल के नाम पर मिलावटी डीजल ग्राहकों को बेचा जा रहा है। हाईवे और संपर्क मार्गों पर खुले ऐसे पंपों पर बायोडीजल के नाम पर अन्य आयल या नकली डीजल बेचकर उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी हो रही है। बगैर लाइसेंस, बगैर एनओसी और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के बगैर बायोडीजल पंप संचालित कर लिए जाते हैं। वाहन संचालकों के साथ-साथ राजस्व का भी काफी नुकसान हो रहा है। जिला पूर्ति विभाग शिकायत मिलने पर इन्हें सील कर रहा है, लेकिन कुछ दिनों बाद ही इन्हें फिर से संचालित कर लिया जाता है। गुलावठी, स्याना, औरंगाबाद और खुर्जा में कई स्थानों पर बायोडीजल पंप संचालित हैं। जिला पूर्ति विभाग ने शिकायत मिलने पर तीन पंपों को सील कर दिया है। इनके संचालकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया लेकिन इनकी कारगुजारी पर बैन नहीं लग पा रहा है।
ऐसे होता है खेल
बायोडीजल रतनजोत के बीज से बनता है। जिसे भारी वाहनों में प्रदूषण रोकने के लिए पेट्रोल और डीजल के कनवर्जन के रूप में लागू किया गया है। अभी जिस उत्पादों को बायोडीजल के नाम से घनत्व 860 से 900 बताकर बेचा जा रहा है, असल में उसका घनत्व भी 836.6 है। जनरेटर के सिवा इसका भारी वाहनों में प्रयोग वर्जित है। बायोडीजल के नाम पर अवैध डीजल वाहन संचालकों को दिया जा रहा है। सुरक्षा के नहीं पुख्ता इंतजाम
बायोडीजल पंप के नाम से किसी ढाबे या फोरलेन किनारे जमीन पर गढढा खोदकर लोहे का टैंक रखकर उसमें पदार्थ भर दिया जाता है। जो पंप मार्केट या कबाड़ में रिप्लेस अथवा बेकार मानकर पहुंचते हैं, उन्हें ऐसे पंप पर लगा दिया जाता है। कोई भी नया पेट्रोल-डीजल पंप लगाने के लिए कम से कम ढाई से तीन करोड़ की लागत आती है, लेकिन ये पंप 40-50 लाख के खर्चे में लग रहे हैं। ज्वलनशील पदार्थ श्रेणी में आने के बावजूद यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
इन्होंने कहा..
बायोडीजल के सात पंपों पर विभाग सील लगा चुका है। शिकायत मिलते ही लाइसेंस और एनओसी की जांच होती है। हालांकि विभाग को बायोडीजल पंप पर छापेमारी करने का अधिकार नहीं दिया गया है, लेकिन अवैध डीजल की बिक्री पर पाबंदी है और जनता के साथ धोखा न हो इसीलिए विभाग कार्रवाई करने पर विवश है।
- केबी सिह, जिला पूर्ति अधिकारी।