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कटान रोकने के बंदोबस्त नहीं, समा गई हजारों हेक्टेयर भूमि

पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में रुक-रुक कर हुई बारिश की वजह से गंगा मालन कोटावाली रवासन सूखरो खो नकटा नचना समेत एक दर्जन से अधिक नदियां उफान पर हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 10:50 PM (IST)
कटान रोकने के बंदोबस्त नहीं, समा गई हजारों हेक्टेयर भूमि
कटान रोकने के बंदोबस्त नहीं, समा गई हजारों हेक्टेयर भूमि

बिजनौर, जेएनएन। पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में रुक-रुक कर हुई बारिश की वजह से गंगा, मालन, कोटावाली, रवासन, सूखरो, खो, नकटा, नचना समेत एक दर्जन से अधिक नदियां उफान पर हैं। कटान रोकने का बंदोबस्त न होने की वजह से गंगा नदी किनारे बसे करीब 55 गांवों में कटान शुरू हो गया है। रावली और ब्रह्मपुरी के बीच बने रपटे पर कई-कई फुट पानी चलने की वजह से लोग नाव से आवाजाही कर रहे हैं। वहीं खेतों में पानी खड़ा होने की वजह से किसानों के पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो गया है।

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बुधवार शाम चार बजे भीमगोड़ा बांध से 1.49 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा किया गया, जबकि बिजनौर बैराज पर जलस्तर मानक के अनुरूप रखने के बाद 1.43 लाख क्यूसेक पानी डाउन स्ट्रीम में छोड़ा गया। इसके अलावा कोटावाली, रवासन, नदी का हजारों क्यूसेक पानी गंगा नदी में पहुंच रहा है। गंगा की तेजधार पिछले कई दिन से गौसपुर, कुंदनपुर, इंछावाला, लाडपुर, लतीफपुर, रामजीवाला, डैबलगढ़ समेत बिजनौर और चांदपुर तहसील के कई गांवों में कटान शुरू कर दिया। अब तक इन गांवों के ग्रामीणों की हजारों हेक्टेयर भूमि गंगा में समा गई। उधर, रावली-शाहजादपुर रपटे पर दो से तीन फुट मालन नदी की तेज धार बह रही है। इस कारण गांव गीदड़पुरा, मानसापुर, भोजपुर सहित कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया। किसान चारा लेने तक खेतों में नहीं जा पा रहे हैं। डूबने के कगार पर दो स्टड

सिचाई विभाग ने रावली से लेकर बैराज तक कटान रोकने के लिए स्थाई स्टड बनवाए थे। कई दिन से जलस्तर बढ़ने के बाद गंगा की तेजधार से शुरू हुए कटान की जद में लाखों की लागत से बने दो स्टड आ गए। धीरे-धीरे दोनों स्टड गंगा में समा रहे हैं। यदि जल्द ध्यान नहीं दिया तो गंगा का पानी हजारों बीघा कृषि भूमि में खड़ी फसलों में घुस जाएगा। बढ़ सकती है वन गुर्जर की परेशानी

बेगावाला: गंगा का जलस्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। ऐसे में नजीबाबाद के गांव चौहड़खाता से गंगा के मध्य टापू में बसे दर्जनों वन गुर्जरों की परेशानी बढ़ सकती है। यह वन गुर्जर प्रतिदिन नियमित रूप से सुबह-शाम नाव से आवाजाही कर रावली दूध देने आते हैं। वहीं, कुछ गुर्जर परिवार गंगा का जलस्तर बढ़ते देख अन्यत्र चले गए हैं।


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