शिक्षा में सुधार को बने राष्ट्रीय शिक्षा नीति: डॉ. ईश्वर
शुभम साहित्य कला एवं संस्कृति संस्था के तत्वावधान में स्कूली शिक्षा दशा और दिशा विषय पर ई संगोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन हुआ जिसमें हिदुस्तान पेट्रोलियम के वरिष्ठ प्रबंधक एवं राजभाषा अधिकारी डा. ईश्वर सिंह ने असमानता आरक्षण और निजीकरण को स्कूली शिक्षा के लिए घातक मानते हुए सरकार से शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाए जाने पर जोर दिया।
बुलंदशहर, जेएनएन। शुभम साहित्य कला एवं संस्कृति संस्था के तत्वावधान में स्कूली शिक्षा दशा और दिशा विषय पर ई संगोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन हुआ, जिसमें हिदुस्तान पेट्रोलियम के वरिष्ठ प्रबंधक एवं राजभाषा अधिकारी डा. ईश्वर सिंह ने असमानता, आरक्षण और निजीकरण को स्कूली शिक्षा के लिए घातक मानते हुए सरकार से शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाए जाने पर जोर दिया। चंद्रकांता महाविद्यालय के हिदी प्रवक्ता डा. संजीव यादव ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाते हुए सरकार की शिक्षा के प्रति उदासीनता और अनावश्यक हस्तक्षेप के प्रति असंतोष जताया। संस्था अध्यक्ष डा. देवकीनंदन शर्मा ने कहा कि हर क्षेत्र में मूल्य बदल रहे है तो शिक्षा इससे कैसे अछूती रह सकती है। भारतीय दर्शन तो सर्वे भवंतु सुखिन: को आधार मानकर चलता है इसी आधार पर हम स्वर्णिम भविष्य की राह देख रहे है। स्वर्णिम भविष्य का रास्ता स्कूली शिक्षा के दरवाजों से शुरू होता है। पाठयक्रमों को समयानुरूप अपडेट होना चाहिए। नैतिकता को अनिवार्य रूप से जोड़ना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर एक शिक्षा नीति बनाई जानी चाहिए। कहा कि शिक्षा को हर हाल में राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखना चाहिए। डा. रेखा रानी जिदल, ललित कुमार शर्मा, डॉ. रश्मि कुमारी ने कहा कि शिक्षा व्यापार बन गई है, इसके लिए कहीं न कहीं सभी दोषी है। कोरोना काल में आए गतिरोध का सामना करने के लिए ऑनलाइन शिक्षण को एक सहायक विकल्प मानना चाहिए। संचालन प्रवक्ता प्रियांशु शर्मा ने किया।