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गंगा के प्रदूषण पर अधिक ध्यान, खतरे में काली

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों पर जिले के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रिपोर्ट तैयार करने में लगे हुए हैं। यह रिपोर्ट जल्द ही दे दी जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 06:07 AM (IST)
गंगा के प्रदूषण पर अधिक ध्यान, खतरे में काली
गंगा के प्रदूषण पर अधिक ध्यान, खतरे में काली

बुलंदशहर, जेएनएन। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों पर जिले के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रिपोर्ट तैयार करने में लगे हुए हैं। यह रिपोर्ट जल्द ही दे दी जाएगी। रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली गई है। इसमें कहा गया है कि गंगा के किनारे या फिर आसपास कोई भी बूचड़खाना नहीं चल रहा है। जहां पर बूचड़खाना चल रहा है वहां से गंगा नहीं बहती है। यानी गंगा साफ है। हालांकि रिपोर्ट में काली नदी में प्रदूषण होना दर्शाया गया है। इसका कारण शहर व गांवों से निकलने वाले गंदे नाले का पानी बताया गया है।

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दरअसल, एनजीटी ने बुलंदशहर के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से एक रिपोर्ट मांगी थी कि उनके जिले में गंगा और अन्य नदियों में किस तरह का प्रदूषण हो रहा है। यह रिपोर्ट याचिकाकर्ता शैलेष सिंह की याचिका पर मांगी गई थी। शैलेष सिंह ने दावा किया था कि बुलंदशहर, अलीगढ़, सम्भल आदि से गंगा बह रही है और यहां पर मौजूद बूचड़खानों का कचरा व दूषित पानी गंगा में जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी जीएस श्रीवास्तव ने बताया कि बुलंदशहर में केवल खुर्जा में स्लाटर हाउस चल रहे हैं। खुर्जा से गंगा नहीं बहती है। जिले से गंगा स्याना, डिबाई, अनूपशहर, नरौरा आदि से निकलती है। यहां पर न तो गंदे नाले का पानी गंगा में जाता है और न बूचड़खाने का। हालांकि रिपोर्ट में बताया गया है कि काली नदी में शहर और अन्य गांवों का गंदा पानी जाता है। इस कारण प्रदूषण हो रहा है। बता दें कि शैलेष सिंह की याचिका पर 16 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इसी तारीख से पहले जिले के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एनजीटी में अपनी रिपोर्ट को दाखिल करना है।


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