जनपद में खादी का प्रचार करने आए थे बापू
गांधीजी खादी वस्त्रों के उपयोग पर बल देते थे। स्वतंत्रता आंदोलन में खादी का विशेष महत्व रहा है। खादी का प्रचार-प्रसार करने के लिए बापू जनपद में पधारे थे। पूरे जिले के साथ-साथ आसपास के जिलों से आए लोगों ने भी उनकी सभा में हिस्सा लिया था।
बुलंदशहर: गांधीजी खादी वस्त्रों के उपयोग पर बल देते थे। स्वतंत्रता आंदोलन में खादी का विशेष महत्व रहा है। खादी का प्रचार-प्रसार करने के लिए बापू जनपद में पधारे थे। पूरे जिले के साथ-साथ आसपास के जिलों से आए लोगों ने भी उनकी सभा में हिस्सा लिया था।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधीजी ने खादी को विशेष महत्व दिया था। उनकी इच्छा जन-जन को खादी के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने की थी। साथ ही बापू धरातल पर गांव-गांव नगर-नगर स्वाधीनता की अलख भी जगाना चाहते थे। इसी दौरान वे तीन नवंबर 1922 को बुलंदशहर आए थे। उन्होंने शहर स्थित लाल तालाब नाम की जगह पर एक जनसभा को संबोधित किया था। उनके भाषण ने लोगों में जोश भर दिया था। उन्होंने लोगों से दैनिक जीवन में खादी का प्रयोग करने की अपील की थी। लोगों को विदेशी वस्तुओं को त्यागने के लिए जागरूक किया था। अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया था। उनकी जनसभा में गांव-देहात से बड़ी संख्या में नगर के साथ-साथ पूरे जिले के साथ-साथ आसपास के जिलों से आए लोगों ने भी हिस्सा लिया था। जनसभा भारत माता की जय, गांधीजी ¨जदाबाद आदि के नारे लगाए थे। स्थानीय लोगों ने देश की आजादी के लिए चंदा एकत्रित करते हुए बापू को धनराशि भेंट की थी। गांधीजी ने लोगों को अ¨हसा और एकता की सीख देते हुए जिले से विदा ली थी।