आम की फसल पर हो सकता है गुजिया-मिज कीट का हमला
जिले में आम की फसल का अच्छा उत्पादन होता है। स्याना क्षेत्र को फल पट्टी के नाम से जाना जाता है। आम की अच्छी उत्पादकता के लिए बाग मालिकों को अभी से प्रयास शुरू करने होंगे। इसकी वजह ये है कि नवंबर व दिसंबर माह में गुजिया व मिज कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है। ये कीट फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचाते हैं।
बुलंदशहर: जिले में आम की फसल का अच्छा उत्पादन होता है। स्याना क्षेत्र को फल पट्टी के नाम से जाना जाता है। आम की अच्छी उत्पादकता के लिए बाग मालिकों को अभी से प्रयास शुरू करने होंगे। इसकी वजह ये है कि नवंबर व दिसंबर माह में गुजिया व मिज कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है। ये कीट फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचाते हैं।
जिले में लगभग 15 हजार हेक्टेयर भूमि में बागवानी होती है। इनमें सबसे अधिक रकबे में आम के बाग हैं। यहां पैदा होने वाला आम दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान व पंजाब समेत देश के दूर-दराज के राज्यों में सप्लाई होता है। आम को सम-सामयिक हानिकारक कीटों के प्रकोप से बाग मालिकों को नुकसान भी उठाना पड़ता है। विभागीय जानकारी के मुताबिक नवंबर व दिसंबर माह में गुजिया व मिज कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है। अगर समय रहते इन कीटों पर नियंत्रण न किया गया तो आम की फसल को बड़ी हानि होना लाजिमी है। फसल बचाने के लिए बाग मालिकों व ठेकेदारों को अभी से देखभाल शुरू करनी चाहिए। इस तरह पहुंचाते है नुकसान
गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकलकर पेड़ों पर चढ़ते हैं और मुलायम पत्तियों, मंजरियों एवं फलों के रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। ये शिशु कीट एक से दो मिलीमीटर लंबे एवं हल्के गुलाबी रंग के चपटे और मादा व्यस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन व चपटे होते हैं। मिज कीट आम के बौर में लगने वाले मंजरियों, तुरंत बने फूलों एवं फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अंडे देती हैं। इसकी सूंडी अंदर ही अंदर खाकर क्षति पहुंचाती है। कीट से इस तरह करें बचाव
उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक गुजिया कीट के नियंत्रण के लिए बागों की गहरी जुताई-गुड़ाई करने के साथ ही नवंबर व दिसंबर माह में पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर 400 गेज की पॉलीथीन की 50 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी को लपेटकर ऊपर व नीचे सतुली से बांध दे। इसके बाद पॉलीथीन के ऊपरी व निचले हिस्से पर ग्रीस लगानी चाहिए। इससे कीट पेड़ों पर नहीं चढ़ पाएंगे। कीट को जमीन पर मारने के लिए कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करना चाहिए। इसी तरह मिज कीट के नियंत्रण के लिए बागों की जुताई-गुड़ाई के के साथ कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए। कीट के प्रकोप से बाग मालिकान परेशान
भले ही शासन-प्रशासन ने आम के बागों को बचाने के लिए स्याना क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री स्थापित न करने पर रोक लगा रखी हो, लेकिन कीटों के हमले से बाग मालिक परेशान हैं। बड़े बाग मालिक केदार त्यागी, बबलू चौधरी व हाजी राव चौधरी का कहना है पिछले तीन साल से फसल पर कीट रोग लगने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रशासन को बागवानों को बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
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इनका कहना है-
नवंबर व दिसंबर माह में आम की फसल में कीट लगने का खतरा बन जाता है। समय रहते कीटों पर नियंत्रण करने के लिए कीटनाशक दवा का इस्तेमाल व अन्य बचाव करना चाहिए।
- डा. धीरेंद्र ¨सह, जिला उद्यान अधिकारी।