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मासूम को घर पर छोड़ कोरोना के खिलाफ लड़ती रहीं जंग

कोरोना काल में ऐसे भी फ्रंट लाइन महिला वर्कर रहीं जो जोखिम उठाकर संक्रमितों की देखभाल करने में जुटीं रही। मां की ममता भी उनकी राह में आडे़ नहीं आई। अपने एक साल के मासूम को कलेजे से लगाने की बजाय सुबह से घर से निकलकर संक्रमित इलाकों में पहुंचती रहीं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 10:26 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 10:26 PM (IST)
मासूम को घर पर छोड़ कोरोना के खिलाफ लड़ती रहीं जंग
मासूम को घर पर छोड़ कोरोना के खिलाफ लड़ती रहीं जंग

बुलंदशहर, जागरण टीम। कोरोना काल में ऐसे भी फ्रंट लाइन महिला वर्कर रहीं, जो जोखिम उठाकर संक्रमितों की देखभाल करने में जुटीं रही। मां की ममता भी उनकी राह में आडे़ नहीं आई। अपने एक साल के मासूम को कलेजे से लगाने की बजाय सुबह से घर से निकलकर संक्रमित इलाकों में पहुंचती रहीं। बिना डरे-बिना रूके अपनी जिम्मेदारी निभाती रहीं।

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खुर्जा के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पंजाबियान में कार्यरत एएनएम श्वेता शर्मा कोरोना से जंग लड़ने के लिए मैदान में डटी रहीं। एक साल के बेटे को घर में छोड़कर सुबह से ही घर से निकल जातीं। दिनभर कोरोना प्रभावित इलाकों में संक्रिमतों की पहचान करने में लगी रहती। गली-मोहल्लों में जाकर लोगों की थर्मल स्क्रीनिग करतीं। दो गज की दूरी मास्क है जरूरी का संदेश देकर शाम को वापस लौटतीं। अपने मासूम को गले लगाने की बजाय पहले वाशरूम में जातीं। नहा-धोकर वापस आकर ही नौनिहाल को गोद में उठातीं। उन्होंने बताया कि लोगों की जिदगी बचाने के लिए अपने एक साल के बेटे तक को नहीं देख पाती थी। सुबह से शाम तक कोरोना महामारी की रोकथाम में लगे रहते थे। अब फिर से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है। लोगों को पिछले अनुभवों से सींख लेकर और ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। सामूहिक विवाह पर ब्रेक, 20 लाख किए वापस

संवाद सहयोगी, बुलंदशहर : कोविड-19 संक्रमण के साये ने गरीब बेटियों की शादी पर भी काला छाया का साया पड़ चुका है। 21 बेटियों के सामूहिक विवाह की तिथि अप्रैल माह में घोषित की गई थी, लेकिन कोविड-19 संक्रमण के चलते गत वर्ष का बजट समाज कल्याण विभाग ने वापस कर दिया है। इसके पीछे कोरोना संक्रमण और आचार संहिता बताया जा रहा है।

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत अलग-अलग ब्लाक से 21 आवेदन समाज कल्याण विभाग को प्राप्त हो चुके थे। अन्य आवेदनों को जमा करने के लिए बीडीओ को निर्देशित किया गया था। आचार संहिता लागू होते ही सामूहिक विवाह को निरस्त कर दिया गया। कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार पांच बेटियों की एक साथ शादी को सामूहिक विवाह की श्रेणी में माना जाएगा। बेटियों के सामूहिक विवाह के लिए निदेशालय ने 19.89 लाख रुपये भी जारी कर दिए थे। समाज कल्याण विभाग ने करीब 19 लाख रुपये वापस कर दिए हैं। समाज कल्याण अधिकारी नागेंद्र पाल ने बताया कि 2020-21 का आया बजट करीब 20 लाख रुपये वापस कर दिए गए हैं। आचार संहिता और कोरोना के चलते सामूहिक विवाह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा है।


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