सकारात्मक सोच रखे, दूर रहेगा तनाव
भागदौड़ भरी जिदगी कोरोना काल में अचानक से थम से गई। न चाहते हुए भी लोग एक तरह से घरों में कैद हो गए। लाकडाउन का लोगों पर इस कदर प्रभाव पड़ा कि शरीर के साथ मानसिक तनाव भी हावी हो गया। सकारात्मक सोच पर हावी हुई नकारात्मकता के कारण कई गंभीर घटनाएं भी सामने आई।
बुलंदशहर, जेएनएन। भागदौड़ भरी जिदगी कोरोना काल में अचानक से थम से गई। न चाहते हुए भी लोग एक तरह से घरों में कैद हो गए। लाकडाउन का लोगों पर इस कदर प्रभाव पड़ा कि शरीर के साथ मानसिक तनाव भी हावी हो गया। सकारात्मक सोच पर हावी हुई नकारात्मकता के कारण कई गंभीर घटनाएं भी सामने आई। वर्तमान में ऐसे तमाम मानसिक तनाव से मुक्त हुए व्यक्ति सामने आए हैं, जो अब अन्य को भी तनाव मुक्ति की सीख दे रहे हैं।
कई बार पढ़ाई या काम के बोझ, रिश्ते में दरार, करियर को लेकर चिता मानसिक अवसाद को काफी बढ़ा देती है। उधर, पिछले छह माह में कोरोना काल के कारण लोगों का सामना मानसिक तनाव से अधिक हुआ। लॉकडाउन के कारण घर में एक तरह से कैद होने, काम-धंधा बंद होने से परिवार के बड़ों से लेकर बच्चे भी तनाव से पीड़ित होने लगे। बात जनपद की करें तो कोरोना काल में हर दिन दो से तीन लोगों ने तनाव से आत्महत्या की या करने का प्रयास किया। उधर, कुछ ऐसे भी लोग सामने आए जिन्होंने खुद को तनाव से मुक्ति पाई ही अब अन्य को भी तनाव से दूर खुद को रखने के उपाय समझाने में लगे हैं। लोगों के अनुसार अपनो का साथ और भविष्य की चिता को छोड़कर वर्तमान में जीना ही तनाव मुक्ति का सबसे सुगम रास्ता है।
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ऐसे हुई दिवस की शुरुआत
साल 1994 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रॉडी ने एक थीम निर्धारित कर इस दिवस को मनाने की सलाह दी। इस साल पहली बार ''दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार'' नामक थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था। तब से हर साल 10 अक्तूबर को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
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व्यक्ति को नकारात्मक सोच-विचारों से दूर रहना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर नाराज होना और उन पर गहन चितन करना भी तनाव का कारण बनता है। कोरोना काल में तमाम ऐसे लोग सामने आए, जिनकी परेशानी ज्यादा बड़ी थी ही नहीं।
- डा. स्वाति यादव, नैदानिक मनोविज्ञानी