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काम नहीं तो गंगा मां की सेवा ही कर लें

लॉकडाउन में काम-धंधे बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोग अपने घर और गांव लौट आए हैं। ऐसे में गंगा के किनारे बसे तमाम गांवों में भी बड़ी संख्या में आए युवा फिलहाल घर पर ही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 10:56 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:09 AM (IST)
काम नहीं तो गंगा मां की सेवा ही कर लें
काम नहीं तो गंगा मां की सेवा ही कर लें

बुलंदशहर, जेएनएन। लॉकडाउन में काम-धंधे बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोग अपने घर और गांव लौट आए हैं। ऐसे में गंगा के किनारे बसे तमाम गांवों में भी बड़ी संख्या में आए युवा फिलहाल घर पर ही हैं। खाली समय में कर्णवास में रहने वाले युवाओं ने गंगा पुत्र बनकर सदानीरा की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया है। युवा हर दिन गंगा के किनारे की सफाई करने के साथ जल से साथ बहकर आने वाले कचरे को भी साफ करते हैं। मेहनत और लगन का ही असर है कि गंगा अब पूरे जनपद में करीब 55 किमी का सफर पूरी स्वच्छता और शुद्धता के साथ तय करती है।

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कोरोना काल में लागू लॉकडाउन के तमाम प्रभाव सामने आ रहे हैं। लोगों की जिदंगी पर इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है। लोगों को जहां अरसे बाद अपने परिवार के साथ लंबा समय बिताने का मौका मिला है, वहीं तमाम लोगों की अधूरी हसरतों को भी लॉकडाउन ने पूरा करने का मौका दिया है। गंगा किनारे बसे तमाम गांवों के युवा काम-धंधा बंद होने के कारण फिलहाल अपने घरों पर ही हैं। ऐसे में समय का सदुपयोग करने के लिए युवाओं ने नायाब तरीका खोजा है। युवा हर दिन गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए जुटते हैं। कर्णवास के युवाओं की इसी मेहनत और श्रद्धा के कारण अब गंगा के किनारे साफ रहते हैं। युवाओं की टीम गंगा जल में आने वाले मामूली कचरे को भी साफ करने के लिए दिनभर डूबकी लगाती है।

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हर गांव की अपनी टीम

गंगा किनारे जनपद के 31 गांव बसे हुए हैं। खेती-किसानी में मन न लगने के कारण किसान पुत्रों ने नौकरी को अपना करियर बनाया और पड़ोसी जनपदों के साथ पड़ोसी राज्यों की राह पकड़ी। अब लॉकडाउन के कारण लगभग सभी घर लौट आए हैं। अब युवा खेती में हाथ बंटाने के साथ गंगा की सफाई में भी जुटे हुए हैं। गांवों में युवाओं ने टीम का गठन कर जिम्मेदारी भी निर्धारित की है।

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कचरे का कर रहे निस्तारण

गंगा से फिलहाल जो कचरा निकल रहा है उसमें लकड़ी और झाड़ी वगैरह हैं। सफाई में जुटे लोग लकड़ी को घरों में ईधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि झाड़ियां व अन्य कचरे को जमीन में दबा रहे हैं।

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इन्होंने कहा..

मैं खुद दिल्ली में जॉब करता हॅू और फिलहाल गांव में होने के कारण गंगा की सफाई में जुटा हुआ हूं। युवाओं की मेहनत और लगन के कारण ही अब गंगा का किनारा और धारा पूरी तरह से स्वच्छ है। हर दिन युवा यहां सफाई अभियान चलाते हैं। लोगों को भी गंगा की स्वच्छता का महत्व समझाते हैं।

-आर्यन गौड़, अध्यक्ष, गंगा विचार मंच।


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