Move to Jagran APP

पुलिस की लापरवाही से हुई पहचान, कहीं साजिश तो नहीं!

जनपद गाजियाबाद के साहिबाबाद क्षेत्र में सूटकेश में जिस महिला के शव को परिजनों ने अपना बता सुपुर्दे खाक कर दिया था वह तो जिंदा है लेकिन शव की शिनाख्त में पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 11:25 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:24 AM (IST)
पुलिस की लापरवाही से हुई पहचान, कहीं साजिश तो नहीं!
पुलिस की लापरवाही से हुई पहचान, कहीं साजिश तो नहीं!

बुलंदशहर, जेएनएन। जनपद गाजियाबाद के साहिबाबाद क्षेत्र में सूटकेश में जिस महिला के शव को परिजनों ने अपना बता सुपुर्दे खाक कर दिया था, वह तो जिंदा है, लेकिन शव की शिनाख्त में पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है। शिनाख्त में पुलिस की चूक जांच का विषय है। पुलिस ने शव की शिनाख्त में ससुराल पक्ष के लोगों को शामिल क्यों नहीं किया? गुमशुदगी दर्ज कराते समय जो फोटो पति ने थाने में दिए थे, उन्हें शव की पहचान का आधार क्यों नहीं बनाया? आखिर किस आधार पर विवेचक सीओ सिटी दीक्षा सिंह ने केवल विवाहिता की मां पर भरोसा कर लिया? जबकि विवाहिता की ससुराल बुलंदशहर में है और आनन-फानन में पुलिस ने बिना जांच के पति, ससुर व सास को क्यों जेल भेज दिया? ये सवाल साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं।

loksabha election banner

इस तरह आ रही साजिश की बू

वरीशा का मायका अलीगढ़ जनपद के थाना हरदुआगंज के जलील कस्बे में है, जबकि ससुराल बुलंदशहर शहर के इस्लामाबाद मोहल्ले में है। बेटी की तलाश में बुलंदशहर आई मां बू्रंदो ने शव की पहचान बेटी वरीशा के रूप में की थी। बता दें कि जब वरीशा को ससुराल पक्ष ने पीटा तो उसने फोन कर स्वजनों को बताया था। वरीशा के भाई ने साफ बोल दिया था कि वह मायके में नहीं आएगी। चाहे ससुराल वाले मार दें। यह बात एसएसपी संतोष कुमार सिंह भी स्वीकार रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि ससुराल पक्ष को फंसाने के लिए उसकी मां व भाई ने गलत पहचान की हो?

वरीशा के अदालत में हुए बयान

वरीशा के मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में बयान हुए हैं। उसने बयानों में क्या कहा। अभी विवेचक सीओ सिटी ने अवलोकन नहीं किया है। बयानों का अवलोकन करने के बाद ही वरीशा को कहां भेजा जाएगा। यह निर्णय लिया जाएगा। यदि उसने बयानों में मायके या फिर ससुराल जाने की बात कही होगी तो वह वहीं जाएगी।

गलत पहचान का बनता है अपराध

यदि जानबूझकर गलत पहचान की गई है तो नियम है कि पहचान करने वालों के खिलाफ पुलिस को गुमराह करने का मुकदमा दर्ज होना चाहिए, क्योंकि इस मामले में इस्लामाबाद निवासी पति आरिफ, ससुर मुस्लिम और सास जेल में हैं।

इनका कहना है..

यदि जानबूझकर गलत पहचान की गई है तो जांच के बाद पहचान करने वालों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसकी अभी जांच चल रही है।

-संतोष कुमार सिंह, एसएसपी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.