अपनों से मुंह मोड़ फर्ज को दी अहमियत, उत्कृष्ट कार्य पर मिला सम्मान
जेएनएन बुलंदशहर कोविड-19 का कहर ऐसा बरपा कि संक्रमितों से लोगों की दूरियां बढ़ गई। जबकि कुछ महिला फ्रंट लाइन वर्कर ऐसी भी रहीं जिन्होंने अपनों से मुंह मोड़ पहले फर्ज को अहमियत दी। संक्रमण की पहचान करके गर्भवती महिलाओं को कोरोना के गाल में समाने से बचातीं रहीं।
जेएनएन, बुलंदशहर : कोविड-19 का कहर ऐसा बरपा कि संक्रमितों से लोगों की दूरियां बढ़ गई। जबकि कुछ महिला फ्रंट लाइन वर्कर ऐसी भी रहीं, जिन्होंने अपनों से मुंह मोड़ पहले फर्ज को अहमियत दी। संक्रमण की पहचान करके गर्भवती महिलाओं को कोरोना के गाल में समाने से बचातीं रहीं। अपने प्रयास से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को साकार करतीं रहीं। उनके उत्कृष्ट कार्य को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर डीएम रविद्र कुमार, एसएसपी संतोष कुमार, विधायक ऊषा सिरोही, अनीता लोधी और राज्य महिला आयोग की सदस्य राम सखी कठेरिया तक सम्मानित कर चुके हें।
खुर्जा महिला अस्पताल में लैब टेक्नीशियन गीता चौधरी ने नवंबर 2019 में बेटी को जन्म दिया। उनकी बेटी छह माह की भी नहीं हुई कि देश पर कोरोना महामारी का संकट गहरा गया। अपनों के सामने अपने दम तोड़ते रहे, लोगों की दुनिया उजड़ती रहीं। ऐसे में गीता चौधरी अपनी जिम्मेदारी उठाकर कोरोना से जंग लड़ने में डट गई। अपनी दुधमुंही बच्ची की परवरिश और वृद्ध बीमार मां की देखभाल करने की बजाय फर्ज निभाती रहीं। गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की चपेट से बचाने के लिए उनकी जांच करने में जुटी रहीं। हालांकि कई महिलाओं की कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट भी उनके कदम नहीं रोक सकी। संक्रमित महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे शिशु की सुरक्षा और उपचार में मदद करतीं रहीं।
सुरक्षा के लिए अपनों से बना ली दूरी
गीता बताती है शुरुआत में डर लगा कि बेटी अभी काफी छोटी है। मां भी वृद्ध हैं और रक्तचाप, पथरी आदि रोगों से ग्रसित हैं। दूसरों की जिदगी बचाने में कहीं मेरे अपने कोरोना वायरस की चपेट में न आ जाएं, इसलिए घरवालों से ही दूरी बना ली। उनके बीच पहुंचने की बजाय संक्रमितों की देखभाल करके फर्ज निभाया।