चुनावी प्रचार में हरी पगड़ी की भरमार, बाकी दरकिनार
इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रचार का खाका कुछ अलग अंदाज से खींचा गया है। देहात में प्रचार के दौरान प्रत्याशी और समर्थक हरे रंग की पगड़ी और अंगोछा गले में डालकर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अभिप्राय देखा भी जा रहा है कि भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) से जुड़े पदाधिकारियों को गांवों में जोश-ए-खरोस से स्वागत किया जा रहा है। हालांकि अन्य दलों के बैनर राष्ट्रीय सिबल अथवा पार्टी का झंडा तक चुनाव प्रचार प्रसार में प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
बुलंदशहर, जेएनएन। इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रचार का खाका कुछ अलग अंदाज से खींचा गया है। देहात में प्रचार के दौरान प्रत्याशी और समर्थक हरे रंग की पगड़ी और अंगोछा गले में डालकर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अभिप्राय देखा भी जा रहा है कि भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) से जुड़े पदाधिकारियों को गांवों में जोश-ए-खरोस से स्वागत किया जा रहा है। हालांकि अन्य दलों के बैनर, राष्ट्रीय सिबल अथवा पार्टी का झंडा तक चुनाव प्रचार प्रसार में प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
नए कृषि कानून को लेकर दिल्ली बार्डर पर चार माह से आंदोलन जारी है। नगर क्षेत्र में भले ही इस आंदोलन का असर न हो बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। निर्दलीय हो अथवा राजनैतिक पार्टी का समर्थित प्रत्याशी दोनों को ग्रामीण भाव नहीं दे रहे हैं। इसके विपरीत रालोद और भाकियू की हरी पगड़ी और गले में हरा अंगौछा देखते ही उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो रही हैं। भाकियू और रालोद समर्थित प्रत्याशी भी इस अवसर का लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं और भाजपा के खिलाफ जहर उगल कर किसानों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
घर-घर पहुंच रहा रालोद
राष्ट्रीय लोकदल ने जिला पंचायत सदस्य वार्डों पर पांच प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। हैरत की बात यह है कि पांच में चार पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। जिले में रालोद पदाधिकारी और कार्यकर्ता घर-घर जाकर किसान नेताओं और रालोद समर्थित प्रत्याशियों को जीताने की अपील करने में जुटे हुए हैं।