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कूड़े में पड़े मिले आयुष्मान योजना के गोल्डन

स्वास्थ्य अफसरों की लापरवाही के चलते प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत का पलीता लग रहा है। नैथला गांव के पात्रों के लिए आए गोल्डन कार्ड सोमवार को कूड़े के ढेर पर पड़े मिले। मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 11:07 PM (IST)
कूड़े में पड़े मिले आयुष्मान योजना के गोल्डन
कूड़े में पड़े मिले आयुष्मान योजना के गोल्डन

बुलंदशहर, जेएनएन। स्वास्थ्य अफसरों की लापरवाही के चलते प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत का पलीता लग रहा है। नैथला गांव के पात्रों के लिए आए गोल्डन कार्ड सोमवार को कूड़े के ढेर पर पड़े मिले। मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई।

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शहर से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित नैथला गांव में आयुष्मान योजना के 93 परिवार पात्र हैं। इन परिवारों को देने के लिए गोल्डन कार्ड स्वास्थ्य विभाग के पास आए थे। पात्रों को दिए जाने के बजाए कार्ड को कूड़े के ढेर पर डाल दिया गया। सोमवार की सुबह गांव के लोग घूमने के लिए निकले तो गोल्डन कार्डो पर नजर पहुंची। इसके बाद वहां ग्रामीण एकत्र हो गए। कुछ ग्रामीणों ने गोल्डन कार्ड की वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए। इसके बाद सूचना स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंची। सीएमओ ने एसीएमओ डा. अशोक तालियान को जांच के लिए भेजा। एसीएमओ ने गोल्डन कार्ड बांट रहे कर्मचारियों के साथ ही ग्रामीणों और ग्राम प्रधान से बात की। जिम्मेदार पर कार्रवाई करने के बजाए स्वास्थ्य अधिकारी उसको बचाने में जुट गए। ग्रामीणों का कहना है कि योजना चलने के एक साल बाद भी कार्ड नहीं मिले तो इलाज कैसे मिलेगा।

प्रधान ने भेजा पत्र

कार्ड कूड़े में मिलने के बाद स्वास्थ्यकर्मी सविता मिश्रा ने दावा किया कि जून माह में गोल्डन कार्ड व वैक्सीन लेकर वह पुलिस लाइन से नैथला गांव के लिए निकली थी। तभी रास्ते में थैला गिर गया था। इसकी सूचना उन्होंने कोतवाली देहात को दी थी। इसके बाद ग्राम प्रधान कविता शर्मा ने अपना एक पत्र दिखाया, कि कार्ड कुछ माह पहले खो गए थे। बाद में कैंप लगवाकर सभी पात्रों को कार्ड दे दिए गए।

इन्होंने कहा.

मैं लखनऊ में हूं। यह वह कार्ड भी हो सकते हैं, जिनका इस्तेमाल गोल्डन कार्ड बनाने में किया जाता है। मीडिया और ग्रामीणों के द्वारा सूचना मिली है। एसीएमओ को जांच सौंप दी है।

-डा. केएन तिवारी, सीएमओ


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