फसल बिक्री की मिली आजादी, धरतीपुत्र की बदलेगी अर्थव्यवस्था
खेती-किसानी में अशिक्षित लोगों की सहभागिता गुजरे वक्त की बात हो चुकी है। वर्तमान में किसान शिक्षित हैं और खेती-किसानों को पुश्तैनी काम से नहीं बल्कि व्यापार के नजरिए से आंकने लगे हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। खेती-किसानी में अशिक्षित लोगों की सहभागिता गुजरे वक्त की बात हो चुकी है। वर्तमान में किसान शिक्षित हैं और खेती-किसानों को पुश्तैनी काम से नहीं बल्कि व्यापार के नजरिए से आंकने लगे हैं। किसान की साल भर की मेहनत की फसल पर कुंडली मारकर बैठने वाले मुनाफाखोरों और आढ़तियों की गिरफ्त को केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेश ने मुक्त कर दिया है। किसानों ने भी सरकार द्वारा किए गए बदलाव पर खुले दिल से स्वागत किया है।
केंद्र सरकार ने मंडी समिति कानून के जरिए किसानों और ग्राहकों की दूरी को खत्म कर दिया है। फसल की बिक्री के लिए आढ़तियों के मुनाफे और मंडियों की बंदिशों को हटाकर किसान और ग्राहक को रुबरू करने करने का काम किया है। आढ़ती ग्राहक से इशारों में अब किसान की फसल के दाम घोषित करने वाला नहीं बन सकेगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट 1955 में हुए बदलाव से वेयर हाऊस और कोल्ड स्टोर किसान समूह स्वयं खोल सकते हैं। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार संयुक्त रूप से किसान समूहों को ऋण भी देगी और अनुदान भी। कांट्रेक्ट फार्मिग ग्रुप एक नई विचारधाराओं के साथ खेती करने के आधुनिक तरीके और फसल के उचित दाम प्रदान करने वाला बदलाव है। इससे पारंपरिक खेती से छुटकारे के साथ-साथ नई प्रजातियों की फसलों और सहफसलों के उत्पादन में सहायक होगी। केंद्र सरकार द्वारा किए गए सुधार का किसानों ने खुले दिल से स्वागत किया है। क्या कहते हैं किसान
किसानों का सर्वाधिक शोषण मंडी और बाजार में होता है। एमएसपी कुछ फसलों तक सीमित रहती है। मंडी शुल्क और मुनाफाखोरों को हटने से खेती-किसानी में बड़े बदलाव होने के आसार हैं। किसान ग्राहक से खुद मोलभाव करके अपनी फसल के दाम लागत और मेहनत के हिसाब से तय करेगा। कृषि अध्यादेशों का सख्ती से पालन हो और घोषित मूल्य कम पर फसल खरीदना अपराध की श्रेणी में लाया जाए। इन बदलावों से किसान खुशहाल होगा और केंद्र सरकार के बदलाव से किसान परिवार खुशहाल होंगे।
-भारत भूषण त्यागी, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित जैविक खेती किसान। ... केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रावधान से किसानों को आने वाले समय से काफी लाभ होगा और इससे किसानों की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ेगा। किसान को अब अपनी फसल बिक्री करने का पूरा अधिकार मिल गया है। इससे राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को उनकी फसल का पूरा मूल्य प्राप्त होगा। सरकार को चाहिए कि वह किए गए सुधार का सख्ती से पालन कराए।
- संजीव शर्मा, प्रगतिशील और जीरो बजट प्राकृति खेती किसान