छह माह से बंद पड़े होम्योपैथ के चार अस्पताल
कोरोना की रोकथाम में डाक्टरों की ड्यूटी लगने से मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। आलम ये है कि जिले में होम्योपैथी के चार अस्पतालों पर पिछले छह माह से ताला लटका हुआ है।
बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना की रोकथाम में डाक्टरों की ड्यूटी लगने से मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। आलम ये है कि जिले में होम्योपैथी के चार अस्पतालों पर पिछले छह माह से ताला लटका हुआ है। नतीजन इन अस्पतालों पर दवा लेने के लिए पहुंचने वाले मरीजों को इलाज के लिए बुलंदशहर तक की दौड़ लगानी पड़ रही है।
जिला होम्योपैथी विभाग के जिले में 20 अस्पताल हैं और 21 ओपीडी हैं, जबकि विभाग के पास डाक्टर कुल 12 हैं। इसमें भी चार चिकित्सकों की ड्यूटी प्रशासन ने कोविड कंट्रोल रूम और स्थानों पर लगा रखी है। एक-एक डाक्टर को तीन-तीन अस्पतालों पर ओपीडी करनी पड़ रही है। साथ ही जिले में नीमखेड़ा, डरौरा, खुशहालपुर और दोस्तपुर के होम्योपैथी अस्पताल पिछले छह माह से बंद पड़े हैं। क्षेत्रीय अस्पताल बंद होने के कारण मरीजों को दवा लेने के चक्कर में पूरा दिन बीत जाता है। अस्पताल बंद होने से परेशान लोग जिला होम्योपैथी अधिकारी से शिकायत करते हैं। हजारों लोगों को महामारी काल में इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। संक्रमण का भी खतरा
ग्रामीण क्षेत्र से इलाज के लिए जब मरीज बुलंदशहर तक आएगा तो भीड़ में या जिला अस्पताल में किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से कोरोना भी लेकर गांव और अपने घर लौट सकता है। इससे गांव में तमाम ग्रामीण संक्रमित हो सकते हैं। इन्होंने कहा
कोरोना की रोकथाम में प्रशासन ने ड्यूटी लगाई है। शुरुआत में जिले के छह अस्पताल बंद थे। अब दो डाक्टर लौटने पर चार अस्पतालों पर ताला लटका है। पिछले छह माह से अस्पताल बंद हैं, क्योंकि विभाग के पास डाक्टरों की पहले से कमी है।
--डा. शेषनाथ राय, जिला होम्योपैथी अधिकारी