किसानों को रास आ रही गन्ना नीति, बढ़ा नौ हजार हैक्टेयर रकबा
जनपद के किसान प्रदेश सरकार की गन्ना नीतियों से खुश हैं।
जेएनएन, बुलंदशहर। जनपद के किसान प्रदेश सरकार की गन्ना नीतियों से खुश हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जनपद में इस बार गन्ने का सर्वाधिक क्षेत्रफल बढ़ा है। किसानों ने मक्का, धान और गेहूं के रकबे में कटौती करके गन्ने की फसल पर अधिक भरोसा जताया है। वर्ष 2020-21 की तुलना में गन्ना सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में आठ हजार 994 हैक्टेयर गन्ने का रकबा बढ़ा है। प्रदेश सरकार ने गत पेराई सत्र के दौरान गन्ना नीतियों में कुछ अमूल-चूल परिवर्तन किए थे। किसानों को गन्ना पर्ची का आवंटन सीधे किसान के पंजीकृत मोबाइल पर भेजा गया। इससे पेपर लैस नीति का प्रचलन शुरू हुआ और किसान समय पर गन्ना लेकर क्रय केंद्र तक पहुंचे। इसके साथ ही आसान और पठनीय कलेंडर किसानों को जारी किए गए और किसानों के घर तक पहुंचाए गए। इसका असर यह रहा कि किसान की पर्ची कौन से माह में कितनी हैं और कब जारी होंगी, इसकी जानकारी भी किसान को मिलने लगी। इसके आधार पर गन्ना छिलाई का कार्य किसान खेतों में करते रहे। क्रय केंद्रों पर घटतौली पकड़ने के लिए टीम गठित कर प्रत्येक सप्ताह कांटों का निरीक्षण किया गया। ऐसे में किसानों का विश्वास गन्ना नीति पर बढ़ा है। ये है जिले की स्थिति
पेराई सत्र : पौधा : पेड़ी : योग वर्ष 2019-20 : 30912 : 33763 : 64675 वर्ष 2020-21 : 33609 : 30971 : 64580 वर्ष 2021-22 : 39409 : 34171 : 73574 ... इन्होंने कहा. गन्ना आपूर्ति और भुगतान को लेकर किसान संतुष्ट हैं, गन्ना सर्वेक्षण रिपोर्ट से अंदाजा लगाया जा सकता है। जल्द ही मेरठ, सहारनपुर, बागपत और शामली की तरह बुलंदशहर भी केन बेल्ट के नाम से जानी जाएगी। किसानों का रूझान गन्ने की फसल की ओर लगातार बढ़ रहा है।
-डीके सैनी, जिला गन्ना अधिकारी।