गन्ना समर्थन मूल्य को लेकर भड़के किसान, होगा आंदोलन
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा खेत-खलिहान के लिए चलाई जा रही योजनाओं से किसान भले ही गदगद हैं लेकिन मुख्य फसल गन्ने का समर्थन मूल्य न बढ़ाने पर खुद को छला सा महसूस कर रहे हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा खेत-खलिहान के लिए चलाई जा रही योजनाओं से किसान भले ही गदगद हैं लेकिन मुख्य फसल गन्ने का समर्थन मूल्य न बढ़ाने पर खुद को छला सा महसूस कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि दो वर्षो से महंगाई के साथ-साथ सभी फसलों के दाम बढ़े लेकिन गन्ने का मूल्य न बढ़ा तो सड़कों पर उतरकर अपना हक मांगना पड़ेगा। भाकियू ने इसके लिए रणभेरी बजा दी है और आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।
कृषि प्रधान जिले में 65,725 हेक्टेयर जमीन में गन्ना उत्पादन करने वाले करीब चार लाख किसान परिवारों को गन्ना मूल्य न बढ़ने पर झटका लगा है। भाजपा ने वर्ष 2017-18 पेराई सत्र में मात्र 10 रुपये प्रति कुंतल की बढोतरी की थी। पिछले दो वर्षो से गन्ना किसान समर्थन मूल्य बढ़ने की आस में थे लेकिन राज्य सरकार ने गत वर्ष का ही रेट घोषित कर दिया। इससे किसानों को मायूसी हाथ लगी है। भाकियू ने गन्ना मूल्य 400 रुपये प्रति कुंतल की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। इसके लिए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत का जिलाध्यक्ष को पत्र भी जारी हो चुका है।
11 भाकियू करेगी चक्का जाम
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष गुड्डू प्रधान ने बताया कि गन्ने मूल्य न बढ़ने पर भाकियू जिले की सड़कों पर उतरकर वाहनों का चक्का जाम करेगी। इसके लिए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत का पत्र जारी कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है। भाकियू 400 रुपये प्रति कुंतल गन्ने के मूल्य की मांग करेगी। उन्होंने बताया कि किसानों से रिकवरी के मामले में आठ से 11 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। मिल प्रबंधन ने कई जिलों में किसानों का बेसिक कोटा भी कम कर दिया है।
रेलवे ट्रैक पर उतरेंगे किसान: मांगेराम
भाकियू के मंडल अध्यक्ष मांगेराम त्यागी ने बताया कि सरकार चीनी मिल मालिकों के दबाव में है और दो वर्षो से गन्ना मूल्य न बढ़ना इस बात का प्रमाण है। उन्होंने चेतावनी दी कि सोमवार से तहसील फिर कलक्ट्रेट और इसके बाद भी समर्थन मूल्य न बढ़ा तो वह किसानों के साथ रेल की पटरियों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
क्या कहते हैं किसान
किसान हित की योजनाएं बनाई जा रही हैं, हमें न योजना चाहिए और न कर्ज माफी। किसान को उसकी फसल का लागत के हिसाब से मूल्य मिलना चाहिए। जब तक फसल का उचित मूल्य नहीं मिलेगा तो परिवार कैसे चलेगा।
योगेंद्र सिंह, भहुराबाद सिकंदराबाद।
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बिजली के दाम कई गुणा बढ़ा दिए गए। ट्यूबवेलों पर मीटर लगाए जा रहे हैं, कर्ज उगाही के लिए दबाव बनाया जा रहा है। पिछले साल डाले गए गन्ने का अभी तक चीनी मिलों ने भुगतान नहीं किया। ऐसे तो किसान की आय दोगुनी नहीं, वसूली चार गुणा हो गई है।
-विकास कुमार, खाजपुर, सिकंदराबाद।
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किसानों की लड़ाई अब संसद में नहीं लड़ी जाती। जब तक स्थानीय और किसान नेता ग्रामीणों की हक की आवाज नहीं उठाएंगे तब तक हमारा शोषण होता रहेगा।
-कपिल कुमार, सिखेड़ा, बुलंदशहर
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रसायन के दाम हजारों में हैं, डीजल की कीमत आसमान छू रही है। बिजली तो दम निकाल रही है और गन्ना मूल्य बढ़ा नहीं। ऐसे में कैसे किसान उन्नति कर लेगा। ट्रैक्टर पर ब्याज दर गाड़ियों से अधिक हैं।
-शिवकुमार, काहिरा, बुलंदशहर