सर्वोच्च न्यायालय की दखलांदाजी को किसानों ने ठहराया सराहनीय
नए कृषि कानून को लेकर दिल्ली में किसान पिछले 46 दिनों से आंदोलनरत हैं। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि कानून पर फिलहाल रोक लगा दी है और एक कमेटी गठित कर किसानों से वार्ता करने और हल निकालने की पहल की है। ऐसे में जनपद के भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों ने कृषि कानूनों पर रोक पर खुशी जताई है। साथ ही अब टेबल पर वार्ता के बीच हल निकलने की उम्मीद जताई है।
जेएनएन, बुलंदशहर। नए कृषि कानून को लेकर दिल्ली में किसान पिछले 46 दिनों से आंदोलनरत हैं। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि कानून पर फिलहाल रोक लगा दी है और एक कमेटी गठित कर किसानों से वार्ता करने और हल निकालने की पहल की है। ऐसे में जनपद के भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों ने कृषि कानूनों पर रोक पर खुशी जताई है। साथ ही अब टेबल पर वार्ता के बीच हल निकलने की उम्मीद जताई है।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेतृत्व में सैकड़ों किसान संगठन नए कृषि कानून को रद करने के लिए दिल्ली में आंदोलनरत हैं। 46वें दिन सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और किसानों के बीच खाई पाटने का प्रयास किया है। हालांकि, इससे कुछ किसान नेता खुश हैं तो कुछ इसे केंद्र सरकार का नया हथकंडा बताकर आंदोलन जारी रखने का एलान कर रहे हैं।
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क्या कहते हैं किसान नेता
सर्वोच्च न्यायालय की पहल सराहनीय है। किसान सड़कों पर सर्दी से मर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है। गठित कमेटी को लेकर कुछ संशय जरूर है, क्योंकि कमेटी में ऐसे व्यक्तियों को रखा गया है जिन्होंने नए कृषि कानून की आधारशिला रखी थी। 15 जनवरी को किसानों से वार्ता होगी। किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं और मांग पूरी न होने आंदोलन जारी रहेगा।
-मांगेराम त्यागी, मंडल महासचिव, भाकियू
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46 दिन से आंदोलन जारी है, जनपद से सैकड़ों किसान दिल्ली में डटे हैं। केंद्र सरकार की चाल किसानों की समझ में आ रही है। यह लड़ाई सरकार और किसान की है। सरकार को स्वयं इस मुद्दे को हल करना चाहिए। कानून पर रोक और रद में अंतर है। जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे और समर्थन मूल्यों की निश्चितता न हो, तब तक आंदोलन में डटे रहेंगे।
-ठाकुर धर्मेंद्र जादौन, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाकियू महाशक्ति