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सीवर लाइन को खोलने की लिए की खुदाई

खुर्जा में चोक पड़ी सीवर लाइन को खोलने के लिए खुदाई का कार्य किया गया लेकिन फिर से भी सफलता नहीं मिल सकी। ऐसे में अभी भी स्थाई रूप से झाबर हाउस वाली गली के लोगों को जलभराव से निजात नहीं मिल सकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 07:42 PM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 07:42 PM (IST)
सीवर लाइन को खोलने की लिए की खुदाई
सीवर लाइन को खोलने की लिए की खुदाई

जेएनएन, बुलंदशहर। खुर्जा में चोक पड़ी सीवर लाइन को खोलने के लिए खुदाई का कार्य किया गया, लेकिन फिर से भी सफलता नहीं मिल सकी। ऐसे में अभी भी स्थाई रूप से झाबर हाउस वाली गली के लोगों को जलभराव से निजात नहीं मिल सकी है।

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जेवर अड्डा चौराहे से होकर निकलने वाली सीवर लाइन पिछले काफी समय से चोक पड़ी हुई है। जिस कारण मोहल्ला होली ब्रह्मनान स्थित झाबर हाउस वाली गली बिन बरसात जलभराव में तब्दील है। नगरपालिका द्वारा इंजन पंप सेट की मदद से पानी की निकासी का कार्य कराया जा रहा है, लेकिन उसके बावजूद भी जलभराव से लोगों को निजात नहीं मिल रही है। बीते दिनों नगरपालिका द्वारा चौराहे पर पाइप लाइन डालने का कार्य किया गया था और उसके बाद अब चोक पड़ी सीवर लाइन को खोलने के लिए सड़क की खुदाई का कार्य किया गया, लेकिन सीवर लाइन नहीं खुल सकी। काफी प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिली है। ऐसे में स्थाई समाधान नाला निर्माण की तैयारी नगरपालिका के अधिकारियों ने शुरू कर दी है। पालिका के सफाई इंस्पेक्टर रोबिन कुमार ने बताया कि सीवर लाइन को खोलने के लिए सड़क की खुदाई का कार्य किया गया, लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिल सकी है। खेतों में पारली जलाने से बढ़ने लगा वायु प्रदूषण

ऊंचागांव : ग्रामीण क्षेत्र में धान और मक्का की फसल कटने के बाद क्षेत्र में पराली जलनी शुरू हो गई है। इससे वायु प्रदूषित में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। बाहर आने जाने वाले लोगों के सामने सांस लेने में परेशानी होने लगी है। क्षेत्र में जिस तरह से धान और मक्का की फसल कटने लगी ही उसी प्रकार किसान खेतों में पड़ी धान और मक्का की पराली को जला रहे हैं। सरकार के लोगों को जागरूक करने के बाद लोग पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे है। पराली जलाने से निकलने वाला धुआं सांस के मरीजों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। सड़क किनारे खेतों में जलती पराली के कारण राहगीरों को परेशानियों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जलाने के कारण खेतों की उर्वरक शक्ति का विनाश भी हो रहा है।


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