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रोजगार देने वाली शिक्षा से मिटेगी बेरोजगारी

मदरसे आधुनिक शिक्षा से जुड़ेंगे तो शिक्षा रोजगार परक हो जाएगी। इससे युवाओं का विकास होगा और देश समृद्ध होगा। सरकार की नई सोच से मदरसा शिक्षकों में खुशी है। अभी आधुनिक शिक्षा में शामिल होने वाले मदरसों की सूची सरकार ने जारी नहीं की है लेकिन मदरसा शिक्षकों को उम्मीद है कि जिले के एक या दो मदरसों को इसमें स्थान जरूर मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 05:17 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 05:17 AM (IST)
रोजगार देने वाली शिक्षा से मिटेगी बेरोजगारी
रोजगार देने वाली शिक्षा से मिटेगी बेरोजगारी

जेएनएन, बुलंदशहर। मदरसे आधुनिक शिक्षा से जुड़ेंगे तो शिक्षा रोजगार परक हो जाएगी। इससे युवाओं का विकास होगा और देश समृद्ध होगा। सरकार की नई सोच से मदरसा शिक्षकों में खुशी है। अभी आधुनिक शिक्षा में शामिल होने वाले मदरसों की सूची सरकार ने जारी नहीं की है लेकिन मदरसा शिक्षकों को उम्मीद है कि जिले के एक या दो मदरसों को इसमें स्थान जरूर मिलेगा।

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जिलेभर में शहर से देहात तक 150 से अधिक पंजीकृत मदरसे संचालित हो रहे हैं। पहले इनमें केवल धार्मिक शिक्षा दी जाती थी लेकिन पिछले कुछ सालों से एनसीआरटीई की पुस्तकें भी पढ़ाई जा रही हैं। अब सरकार ने मदरसों में सेकेंडरी स्तर पर आधुनिक शिक्षा शुरू करने की योजना बनाई है। नए शैक्षिक सत्र में आधुनिक शिक्षा का शुभारंभ हो सकता है। इसमें एनआइओएस के तहत विद्यार्थियों को दसवीं की शिक्षा और परीक्षा दिलाई जाएगी। मदरसा शिक्षकों का कहना है कि एक या दो मदरसे भी आधुनिक शिक्षा से जुड़े तो सैकड़ों बच्चों का भविष्य सुनहरा हो जाएगा। आधुनिक शिक्षा के लिए सबसे दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मदरसों को शामिल जाएगा। आधुनिक शिक्षा शुरू होने पर मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को धार्मिक शिक्षा के साथ ही रोजगार वाली शिक्षा भी दी जाएगी।

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी डा. अमृता सिंह ने बताया कि मदरसों की आधुनिक शिक्षा के लिए शासन स्तर पर योजना बन रही है। अभी लिखित में कोई आदेश नहीं आए हैं। आने पर क्रियांवयन शुरू कराया जाएगा। आधुनिक शिक्षा से बेरोजगारी कम होगी। इन्होंने कहा

जमीयत उलेमा ए हिद इस पर काम कर रही है। सरकार की ये बहुत अच्छी पहल है। धार्मिक शिक्षा के साथ ही आधुनिक शिक्षा से देश की उन्नति होगी। मदरसे के विद्यार्थी भी आधुनिक शिक्षा से अपना भविष्य संवार सकेंगे।

-इरफान अहमद सिद्दकी, प्रधानाचार्य, मदरसा कास्मिया अरबिया इस्लामिया ऊपरकोट बुलंदशहर


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