किस्मत के हारे लोगों के रोजगार की आवाज हैं डा. कुलदीप
आधुनिकता के दौर में जहां बहुतायत लोग अपने लिए सोचते और जीते हैं उसी समाज में डाक्टर कुलदीप शर्मा लोगों के लिए मसीहा बने हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। आधुनिकता के दौर में जहां बहुतायत लोग अपने लिए सोचते और जीते हैं, उसी समाज में डा. कुलदीप शर्मा परेशान लोगों के लिए मसीहा बने हैं। उन्होंने अपने दैनिक जीवनचर्या से समय निकालकर समाज के लोगों को नई दिशा दी हैं। समाज में आधा दर्जन लोग ऐसे है, जिन्होंने उनकी मदद और सीख का अनुसरण करके नए रोजगार को आयाम दिया है। निजी रोजगार शुरू होने से यह लोग परिवार के कोपभाजन का शिकार होने से बच रहे है और उनकी जिदगी गुलजार होती जा रही है। अलीगढ़ के जवां निवासी डा. कुलदीप शर्मा पैसे से चिकित्सक हैं। वह क्षेत्र के भीमपुर दोराहे पर निजी क्लीनिक चलाते हैं। परेशान लोगों की मदद करना उन्होंने अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। क्षेत्र के रामनगर गांव के रहने वाले जितेंद्र कुमार गाड़ियों की धुलाई के लिए प्रशिक्षित कारीगर थे। लेकिन धन के अभाव ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। दूसरे लोगों के धुलाई सेंटर पर काम करके जैसे तैसे परिवार का गुजारा हो रहा था। नजर पड़ी तो कुलदीप शर्मा जितेंद्र के लिए सारथी बन गए। उन्होंने जितेंद्र को स्वरोजगार की सीख दी। लेकिन धन का अभाव आड़े आने लगा। इस पर कुलदीप शमर ने जितेंद्र की आर्थिक मदद करते हुए रोजगार शुरू कराया, और आज उनका रोजगार बुलंदियों को छू रहा है। कोविड के दौरान सतेंद्र कुमार का रोजगार भी चौपट हो गया था। जिससे उनके परिवार पर रोजी रोटी का संकट गहराने लगा। आज कुलदीप शर्मा की मदद से सतेंद्र कुमार को कारोबार फिर से खड़ा हो गया है। रोजगार के लिए परेशान अजय कुमार भी ई रिक्शा पाकर परिवार की पालना आसानी से कर रहे हैं। क्या कहते हैं डा. कुलदीप
समाज में परेशान लोगों की संख्या बेहद कम है। थोड़ी सी मदद इन लोगों को कामयाबी की ओर ले जा सकती है। यदि समाज के सक्षम लोगों बिना भेदभाव के परेशान लोगों की मदद करें, तो गरीबी को हराया जा सकता है। हमारा समाज संपन्न होगा, तो देश स्वयं तरक्की के रास्ते पर चल पड़ेगा।