धरपा मार्ग बदहाल, ग्रामीण हो रहे परेशान
खुर्जा में गांव धरपा जाने वाला संपर्क मार्ग इन दिनों बदहाल स्थिति में है। जिस कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शिकायतों के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिससे ग्रामीण नाराज है।
जेएनएन, बुलंदशहर। खुर्जा में गांव धरपा जाने वाला संपर्क मार्ग इन दिनों बदहाल स्थिति में है। जिस कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शिकायतों के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिससे ग्रामीण नाराज है।
खुर्जा के हाईवे-91 से अग्रवाल फ्लाईओवर के नीचे से गांव धरपा के लिए मार्ग जाता है। यह मार्ग पिछले काफी समय से बदहाल स्थिति में है। गांव के निकट जहां अंडरपास बनाने का कार्य चल रहा है। वहां मार्ग की स्थिति और भी अधिक दयनीय है। मार्ग पर जगह-जगह गहरे गड्ढे हो गए हैं। गड्ढों में गिरकर आए दिन ग्रामीण घायल भी होते रहते हैं। मार्ग की स्थिति सुधारने के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार प्रदर्शन किया गया और जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायतें भी की गई। जिसके बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है। जिस कारण लोगों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे ग्रामीणों में जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ रोष व्याप्त है। ग्रामीण गौरव सिंह, लोकेश, हेमंत, आकाश आदि का कहना है कि अगर शीघ्र ही मार्ग की दुर्दशा नहीं बदली गई, तो वह उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे।
गोवर्धन पर्वत के कण कण में समाए है भगवान श्रीकृष्ण
ऊंचागांव। ब्रज की रज में जहां भगवान श्रीकृष्ण का वास है। वहीं सबसे अधिक गोवर्धन पर्वत के कण कण में समाए हुए है। जिसकी परिक्रमा करने मात्र से पापों का नाश हो जाता है।
उक्त विचार गांव मुबाकिरपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक बाबा बटेश्वर महाराज ने कथा के पांचवे दिन व्यक्त किए। उन्होने कहा कि जब जब पृथ्वी पर धर्म का पतन होता है और पापों का बढ़ना शुरू हो जाता है। तब तब भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है। भगवान कृष्ण ने भी कंश के बढ़ते पापों का विनाश करने के लिए अवतार लिया था और लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने का मार्ग दिखाया था। इन्द्रदेव का अभिमान तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर गोकुल और मथुरा वासियों की रक्षा की थी। जिसके बाद भगवान का वास गोवर्धन पर्वत के कण कण में हो गया था। कथा में भगवान श्रीकृष्ण की झांकी निकाली गई। जिसमें रोहताश कुमार गुप्ता, विनोद कुमार राघव, कुंवरपाल सिंह, सरमन सिंह, परविद कुमार, विन्ना सिंह, रामू सिंह ने व्यवस्था बनाने में सहयोग किया।