संस्कारित बच्चे ही वास्तव में देश का भविष्य
साझेदारी हमें मजबूती प्रदान करती हैं और दूसरे द्वारा की गई सेवा की कद्र सभी को करनी चाहिए। सेवा की कद्र करना भी भारतीय संस्कार हैं। यही हमारी पहचान भी हैं। सामाजिक माहौल को संतुलित बनाने व समाज की कुरीतियों को दूर भगाने के लिए साझेदारी बेहद जरुरी है।
बुलंदशहर, जेएनएन। साझेदारी हमें मजबूती प्रदान करती हैं और दूसरे द्वारा की गई सेवा की कद्र सभी को करनी चाहिए। सेवा की कद्र करना भी भारतीय संस्कार हैं। यही हमारी पहचान भी हैं। सामाजिक माहौल को संतुलित बनाने व समाज की कुरीतियों को दूर भगाने के लिए साझेदारी बेहद जरुरी है। यह संस्कार हम भारतीयों के रग-रग में बसा है। यह बात खुर्जा के महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्य एनके मित्तल ने असेंबली के दौरान छात्र-छात्राओं से कही। साथ ही दैनिक जागरण में साझेदारी और सेवा की कद्र पर प्रकाशित शीर्षक विद्यार्थियों को पढ़कर सुनाया। साथ ही उन्होंने छात्र-छात्राओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
असेंबली के दौरान प्रधानाचार्य एनके मित्तल ने दैनिक जागरण संस्कारशाला के साझेदारी और सेवा कद्र शीर्षक पर प्रकाशित लेख पढ़कर सुनाया। साथ ही कहा कि अपने जीवन में असफल होने से घबराने या चितित नहीं होने, बल्कि इससे सीख लेकर अपने मेहनत के बाद आगे निकलने का संकल्प लेना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि आज बच्चों में यह भारतीय संस्कार ही हैं। जिस कारण वह एक-दूसरे की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर सेवा करने से भी पीछे नहीं हटते हैं। इसलिए बच्चों को सामाज से अच्छी-अच्छी बातों को धारण करना चाहिए। जिससे उन बातों की झलक बच्चों के चेहरे से साफ झलक सके। उन्होंने कहा कि संस्कारित बच्चे ही वास्तव में देश का असली भविष्य हैं।
बोले छात्र-छात्राएं..
हर किसी को एक दूसरे की मदद करने के लिए सामने आना चाहिए। क्योंकि मदद करने से खुद भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। साथ ही हमारी संस्कृति भी यहीं कहती हैं कि दूसरे की मदद को हमेशा तैयार रहना चाहिए।
--गर्वित, छात्र।
साझेदारी और सेवा की कद्र करना उसी तरह जरूरी है। जिस तरह एक अच्छे वातावरण में रहना जरुरी है। क्योंकि जब एक-दूसरे की कद्र ही नहीं होगी, तो माहौल भी अच्छा नहीं बन सकेगा।
--ईशान, छात्र।
एक-दूसरे की मदद और सेवा करने के कारण ही भारत की पहचान विश्व भर में हैं। इसको और मजबूत बनाने की जरुरत है। त्योहारों पर तनातनी के कारकों पर विचार कर हमें सभी जाति-धर्म की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
--सोनिया, छात्रा।
भारतीय संस्कृति में धर्मों का खासा महत्वपूर्ण स्थान है। यहीं धर्म एक-दूसरे की मदद करना भी हमें सिखाते हैं। इसलिए हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। धार्मिक सहभागिता से समाज में अमन-चैन का माहौल कायम रहता है।
--मंजरी, छात्रा।