रचनात्मक सोच ने किया अविष्कार, दूर हुए मन के विकार
कई बार रचनात्मक सोच बड़ी से बड़ी विपत्ति और बाधा को किनारे कर मंजिल का रास्ता तय करने में बड़ी मददगार होती है। ऐसे कई नायक हमारे ही बीच छिपे हुए हैं जो अपनी सोच और रचनात्मकता के कारण सफल तो हुए ही दूसरे के लिए भी नजीर बने।
बुलंदशहर, जेएनएन। कई बार रचनात्मक सोच बड़ी से बड़ी विपत्ति और बाधा को किनारे कर मंजिल का रास्ता तय करने में बड़ी मददगार होती है। ऐसे कई नायक हमारे ही बीच छिपे हुए हैं जो अपनी सोच और रचनात्मकता के कारण सफल तो हुए ही दूसरे के लिए भी नजीर बने। आज वर्ल्ड क्रिएटिविटी एंड इनोवेशनल डे है, ऐसे में ऐसी कुछ घटनाओं के साथ हम हाजिर हैं जो क्रिएटिविटी के दम पर मिशाल बनने में कामयाब हो सकी।
मानव मन में छिपी रचनात्मकता कई बार जाने अनजाने इतिहास रचने में कामयाब हो जाती है। यहां रचनात्मकता का अर्थ वस्तु, विचार, कला और साहित्य से संबंध समस्या के समाधान निकालने और किसी भी क्षेत्र में कुछ नया आविष्कार करने आदि से संबंधित है। ऐसा इसलिए है कि कई बार विपत्ति के समय मन अधीर हो जाता है और तमाम रास्ते भी बंद नजर आते हैं। ऐसे में मन में छिपी रचनात्मकता ही सही रास्ता तय करने में मदद करती है। हर इंसान के जीवन में ऐसा समय जरूर आता है जब धैर्य अपनी परीक्षा की कसौटी पर होता है। ऐसे में जो अपनी छिपी क्रिएटिविटी को जागृत कर समाधान खोजता है वहीं सिकंदर बनता है। खुल गई नई राह
घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी, ऐसे में बड़े भाई के साथ पॉटरी उत्पाद का काम शुरू किया। काम चल निकला तो कुछ नया करने की सोची, लेकिन समझ में नहीं आया कि काम को कैसे आगे बढ़ाया जाए और कैसे नया रूप दिया जाए। उधर, पॉटरी उद्योग में बढ़ते कंपटीशन ने भी राह मुश्किल कर दी। ऐसे में रचनात्मकता काम आई और पारंपरिक प्रोडक्ट में बदलाव कर नए प्रोडक्ट तैयार किए। आज हमारी पॉटरी में तैयार हो रहे उत्पाद की मांग देश के साथ विदेशों तक में है।
- राजीव बंसल, पॉटरी उद्यमी और पूर्व चेयरमैन शिक्षण में किया बदलाव
बरसों पहले शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बेहतर करने के लिए स्कूल की स्थापना की थी। बच्चे आने लगे और स्कूल भी चल निकला। लेकिन मन में कुछ अलग करने की चाह बनी रही। शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नया हो, इसके लिए मन में रचनात्मक ख्याल बने रहे। बच्चों को शिक्षा देने के साथ उन्हें प्रेरित करने और खेल-खेल में बेहतर शिक्षा देने आदि ख्यालों पर काम शुरू किया। ऐसा करने में तमाम दिक्कतें भी सामने आई, लेकिन कुछ समय बाद सब ठीक होता चला गया। आज भी नया कुछ करने की सोच रचनात्मकता बनाए रहती है।
- नंद कुमार शर्मा, चेयरमैन, सेंट आरजे पब्लिक स्कूल