काली नदी में बह रहा नगर पालिका का सफाई अभियान
प्रधानमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल स्वच्छ भारत अभियान को नगर पालिका पलीता लगाने में अहम भूमिका निभा रही है। रोजाना हजारों लीटर मल-मूत्र काली नदी में बहाया जा रहा है।
बुलंदशहर, जेएनएन। प्रधानमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल स्वच्छ भारत अभियान को नगर पालिका पलीता लगाने में अहम भूमिका निभा रही है। रोजाना हजारों लीटर मल-मूत्र काली नदी में बहाया जा रहा है। सीवर लाइन की गंदगी टैंकर में भरकर नदी के टूटे पुल के बीच से डालकर काली नदी को और प्रदूषित बनाया जा रहा है। प्रदूषण के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में काली नदी को धन नहीं धुन की आवश्यकता है। लापरवाह विभाग और उसके नुमाइंदों पर अंकुश लगाने की सख्त आवश्यकता है।
देश भर में साफ-सफाई पर काफी जोर है और गली-मोहल्लों, सड़कों आदि की सफाई अभियान छिड़ा है। इसके साथ ही नदियों को निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार कई योजनाएं भी संचालित कर रही हैं। नदियों की निर्मलता के लिए नगरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। इनमें आम से खास लोगों के सहयोग की अपील की जा रही हैं। इसके बावजूद नगर पालिका रोजाना काली नदी में हजारों लीटर मल-मूत्र काली नदी में बहा रही है।
निजी कंपनी को ठेका
सीवर लाइन की सफाई के दौरान निकलने वाली गंदगी को नगर से बाहर भेजने के लिए नगर पालिका ने एक निजी कंपनी को ठेका दिया है। इस कंपनी के ठेकेदार ने स्वच्छ भारत अभियान का स्लोगन भी अपने ट्रैक्टर व टैंकर पर लगाए हैं। इसके बावजूद इस गंदगी को नगर से बाहर की बजाए बीचोबीच स्थित काली नदी में टूटे पुल के झरोखों में पाइप डालकर काली नदी में बहाया जा रहा है।
काली के किनारों पर कब्जा
काली नदी के उद्धारीकरण के लिए मनरेगा से कार्य कराया जाना है, जल्द ही ड्रोन से इसकी डीपीआर भी बनाने की योजना तैयार की जा रही है। वहीं, कुछ अराजक तत्वों ने काली नदी के किनारों को काटकर खेतों में मिला लिया है और इस पर गेहूं की फसल की बुआई भी कर दी है। लेकिन संबंधित विभाग चुप्पी साधकर बैठे हैं। ऐसे में काली का उद्धार कैसे संभव है।
इन्होंने कहा..
नदी में इस तरह से कचरा और सीवरेज डालना गलत है। इसी जांच कराई जाएगी और संबंधित पर कार्रवाई भी की जाएगी।
- रविद्र कुमार, जिलाधिकारी