मम्मी-पापा संग स्कूल पहुंचे बच्चे, दोस्तों से मिलकर हो गए खुश
निजी स्कूलों में पहले दिन मम्मी-पापा के साथ बच्चे स्कूल पहुंचे। हालांकि बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में अभिभावकों से सहमति ली गई। फिर भी अभिभावकों के मन में तमाम सवाल रहे। जिनका शिक्षकों ने जवाब दिया। स्कूल कैंपस में घुसने के बाद अभिभावक शिक्षकों से मिले जबकि बच्चे दोस्तों से मिलने के बाद खेलने-कूदने में व्यस्त हो गए। इस दौरान बच्चों की खुशी देखते ही बन रही थी।
जेएनएन, बुलंदशहर। निजी स्कूलों में पहले दिन मम्मी-पापा के साथ बच्चे स्कूल पहुंचे। हालांकि, बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में अभिभावकों से सहमति ली गई। फिर भी अभिभावकों के मन में तमाम सवाल रहे। जिनका शिक्षकों ने जवाब दिया। स्कूल कैंपस में घुसने के बाद अभिभावक शिक्षकों से मिले जबकि बच्चे दोस्तों से मिलने के बाद खेलने-कूदने में व्यस्त हो गए। इस दौरान बच्चों की खुशी देखते ही बन रही थी। वहीं, छुट्टी के बाद जब बच्चे कक्षाओं से निकले तो अभिभावकों की सारी चिताएं मिट गईं। महामारी की रोकथाम को लेकर सुरक्षा प्रबंधों को देख घेर रही आशंकाएं दूर हो गई। बोले अभिभावक
स्कूल खुलने पर अभिवभावकों को भी काफी राहत मिली है। बच्चों की पढ़ाई की चिता समाप्त हो गई है। आनलाइन व्यवस्था रास नहीं आ रही थी। इसलिए स्कूल खोलने पर अब बच्चे बेहतर तरीके से लाभांवित हो सकेंगे। बच्चों को पूरी सुरक्षा के साथ स्कूल भेजा जा रहा है। स्कूलों में भी इसका ध्यान रखा जा रहा है।
मो. फरीद, अभिभावक। घर पर चाहे कितनी ही कोशिश कर लें, लेकिन जो पढ़ाई स्कूलों में हो सकती है वह घर पर नहीं हो सकती। कई माह बाद बच्चों को स्कूल भेजा है। हालांकि कोरोना महामारी के कारण मन में डर भी लगा रहा, लेकिन स्कूलों की ओर से की गई व्यवस्था बेहतर को देखकर मन में छाया डर भी समाप्त हो गया।
रूचि सिंह, अभिभावक। पहले दिन बच्चे बहुत उत्साहित रहे। आनलाइन कक्षाओं के जरिए बच्चे से जुडे़ रहे। बच्चों को भी स्कूलों में शिक्षण कार्य शुरू होने का आभास कराते रहे थे, जिसकी वजह से कोई परेशानी नहीं हुई। बल्कि आनलाइन कक्षाओं की तैयारी को परखने के लिए पहले दिन परीक्षा कराई गई। जिसमें पूरी तैयारी के साथ बच्चे शामिल हुए।
इंदु सिंह, शिक्षिका, सेंट मोमिना स्कूल। कोरोना काल में छोटे बच्चों के स्कूल तो अब खुले हैं जबकि इससे पहले बड़े बच्चों के खोले जा चुके हैं। इसलिए स्कूल प्रबंधन सतर्कता पहले से ही सतर्कता बरत रहा है। पहले दिन छोटे बच्चे जब स्कूल पहुंचे तो वह काफी खुश दिखे। शिक्षक भी उनसे खूब घुले मिले। सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए पठन-पाठन कराया गया।
शाह फैजल, चेयरमैन, सेंट मोमिना स्कूल। खुशी की जाहिर :::
स्कूल नहीं आने पर घर पर भी पढ़ाई करते थे, लेकिन मैडम के साथ बैठकर पढ़ाई करने का मौका नहीं मिलता था। साथ में अन्य बच्चों के साथ कक्षा में बैठकर पढ़ाई करना काफी अच्छा लगा।
फातिमा, छात्रा
घर पर स्कूल जैसा माहौल नहीं मिलता था। एक कमरे में बद रहकर ही पढ़ाई करनी पड़ती थी, लेकिन अब स्कूल पहुंचने पर कक्षाओं के साथ प्रांगण में भी खेलने बहुत अच्छा लगा।
आयशा, छात्रा
घर पर स्कूल की याद आती थी, लेकिन स्कूल बंद होने के कारण आ नहीं पा रहे थे। काफी दिन के बाद स्कूल पहुंचे तो बहुत अच्छा लगा। कक्षाओं के सहपाठी और दोस्तों के साथ खेलने का मौका मिला।
लविशका जादौन, छात्रा