कक्षाओं में खिलखिलाएगा बचपन, बोझिल मन से नहीं पहुंचेंगे स्कूल
अभिभावकों से लेकर शिक्षकों के लिए बच्चों की शुरुआती शिक्षा के दिन चुनौती भरे होते हैं। बोझिल मन से जब बच्चे कक्षाओं में पहुंचते हैं तो उनका ठहराव बनाए रखना आसान नहीं होता।
जेएनएन, बुलंदशहर। अभिभावकों से लेकर शिक्षकों के लिए बच्चों की शुरुआती शिक्षा के दिन चुनौती भरे होते हैं। बोझिल मन से जब बच्चे कक्षाओं में पहुंचते हैं तो उनका ठहराव बनाए रखना आसान नहीं होता। इसलिए प्री-प्राइमरी की आधारशिला तैयार करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए स्कूल रेडीनेस आनलाइन प्रशिक्षण की शुरुआत हो चुकी है। कहानी कविताओं के माध्यम से पठन-पाठन को रोचक बनाने के लिए शिक्षकों को तैयार किया जा रहा है। ताकि कक्षाओं में बचपन खिलखिलाता रहे और पठन-पाठन की ओर बालमन आकर्षित होता रहे।
दरअसल, जब बच्चा पहली कक्षा में सीधे प्रवेश लेता है तो पूर्व प्राथमिक शिक्षा का कोई अनुभव नहीं होता है। इसी प्रकार आंगनबाड़ी केंद्रों के बाद बच्चे पहली कक्षाओं में पहुंचते हैं तो उनके सामने भी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने में परेशानी आती है। अब शिक्षकों को बच्चों की यह मुश्किल आसान करनी है। इसके लिए शासन स्तर पर शुरू हुई कवायद के तहत राज्य संदर्भ समूह सदस्य (एसआरजी) एवं डायट प्रवक्ता को विशेषज्ञ के तौर पर प्रशिक्षित किया गया है। इन विशेषज्ञों को जिले की न्याय पंचायतों के 154 स्कूल संकुल शिक्षकों को प्रशिक्षित करने मास्टर ट्रेनर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बाद यह मास्टर ट्रेनर जिले के परिषदीय स्कूलों के पहली कक्षा के शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। प्री-प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पठन-पाठन एवं अन्य गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षण देकर तैयार करेंगे। फिर 12 सप्ताह तक कक्षाओं में शिक्षकों बच्चों की प्री-प्राइमरी की राह आसान करने के लिए प्रशिक्षण में मिले ज्ञान के आधार पर कोर्स संचालित करेंगे।
इन्होंने कहा..
शासन के निर्देश पर स्कूल रेडीनेस आनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें बच्चों की शुरुआती शिक्षा की राह आसान करने के लिए शिक्षकों को तैयार कराया जा रहा है। महेंद्र सिंह राणा, डायट प्राचार्य