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गंगा यात्रा ::: फोटो :: बाल मन को स्वागत में मिला गंगा संरक्षण का संदेश

मोक्षदायिनी के लिए गंगा किनारे वाले बुलंदशहर वासियों के मन में अथाह श्रद्धा भाव अनंत काल से रहा है। लेकिन मंगलवार को सड़क पर दिखे भविष्य रूपी बच्चों के जोश और उत्साह ने गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के लिए बड़ा संदेश दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 11:54 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:00 AM (IST)
गंगा यात्रा ::: फोटो :: बाल मन को स्वागत में मिला गंगा संरक्षण का संदेश
गंगा यात्रा ::: फोटो :: बाल मन को स्वागत में मिला गंगा संरक्षण का संदेश

बुलंदशहर, जेएनएन। मोक्षदायिनी के लिए गंगा किनारे वाले बुलंदशहर वासियों के मन में अथाह श्रद्धा भाव अनंत काल से रहा है। लेकिन मंगलवार को सड़क पर दिखे भविष्य रूपी बच्चों के जोश और उत्साह ने गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के लिए बड़ा संदेश दिया। मीलों लंबी रंग-बिरंगी ड्रेस पहने बच्चों अनुशासन में सड़क पर कतारबद्ध थे। घंटों इंतजार के बाद यात्रा बच्चों के पास से गुजरी तो मानो सारी थकान मिट गई और जोश का पैमाना शिखर पर पहुंच गया। यात्रा गुजरने के घंटों बाद भी बच्चे सड़क पर गुजरने वाले वाहनों में सवार लोगों का हाथ हिलाकर स्वागत करते रहे।

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गंगा यात्रा के लिए जनमानस के साथ जिला प्रशासन भी कई दिनों से तैयारियों में जुटा था। मंगलवार को यात्रा पहुंचने से पहले मौसम के मिजाज ने तैयारियों पर ग्रहण लगाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन आस्था के अपार संगम ने आसमान को भी झुका दिया। सबसे सुखद अहसास गंगा यात्रा के स्वागत के लिए मीलों लंबी कतार बनाकर हाथ में हाथ थामे खड़े बच्चों को देखकर हुआ, जो पिछले काफी समय से यात्रा के आने स्वागत के लिए उत्सुक थे। कई घंटों के इंतजार के बाद गंगा यात्रा का रथ बच्चों के करीब से गुजरा तो उत्साह का सागर जयकारों की आवाज के रूप में सुनामी ले आया। बच्चों की आवाज में छिपे संदेश ने अतिथियों को भी चकित कर दिया। अपनी सहपाठी मनीषा का हाथ थामे खड़ी कक्षा छह की छात्रा दुर्गा ने बताया कि हमें स्कूल में तीन दिन पहले ही बताया गया था कि गंगा यात्रा के स्वागत में हमें भी शामिल होना है। हमें पहले नहीं पता था कि यात्रा क्यों और किस लिए हैं। मैडम ने बताया कि गंगा के स्वच्छ रखने और संरक्षण के लिए यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इस बीच अपनी बात रखते हुए मनीषा ने बताया कि हमें पता है कि गंगा हमारे लिए क्या हैं। अब समय आ गया है कि बच्चों को आगे आकर बड़ों का समझाना होगा। गायब हो गई थकान

गंगा यात्रा के स्वागत के लिए आए बच्चे सड़क के किनारे खड़े होते तो कभी बैठ जाते। कुछ के मासूम चेहरों पर थकान के भाव साफ दिखे। हालांकि बच्चों के लिए खाने-पीने के इंतजाम किया गया था। लेकिन बच्चे आखिर बच्चे हैं। तभी गीतों और जयकारों की आवाज आने लगी तो, बच्चे एक बार फिर अपनी कतार में आकर खड़े हो गए और राष्ट्रीय ध्वज लहराने के साथ जयकारों में अपनी आवाज को भी शामिल कर दिया।


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