सीडीपी योजना में गड़बड़झाला, अपात्र किसानों को बीज बांटे
केंद्र और राज्य सरकार की संचालित योजनाओं में किसानों को बीज कृषि यंत्र और फसल बर्बाद होने पर मुआवजे तक की सुविधा दी जा रही है। इसमें कुछ अधिकारी अपने चहेतों के लिए खेल भी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत प्रशासन के अधिकारियों से की है।
बुलंदशहर, जेएनएन। केंद्र और राज्य सरकार की संचालित योजनाओं में किसानों को बीज, कृषि यंत्र और बर्बाद फसलों के मुआवजे तक की सुविधा दी जा रही है। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी सब्जियों के बीज आवंटन में गड़बड़ी कर रहे हैं। रबी की फसलों का खरीफ के मौसम में फर्जी बिल बनाकर सब्सिडी चहेते किसानों के खाते में पहुंचाई जा रही है।
क्राप डाइवर्जन प्रोग्राम (सीडीपी) योजना के अंतर्गत सब्जी उगाने वाले किसानों का चयन किया जाता है। सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रति किसान को वर्ष में रबी की फसल के लिए 28 हजार रुपये बीज खरीद के लिए देती है। दो हैक्टेयर जमीन वाले किसानों को इसका पात्र होते हैं। अनुदान पाने वाले किसान पात्रता की श्रेणी में नहीं हैं। रबी में दो हेक्टेयर पर 28 हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। योजना को कृषि उपनिदेशक कार्यालय से संचालित किया जा रहा है। एक अक्टूबर से फरवरी तक रबी की फसलों का भुगतान जनवरी माह में किया जा रहा है।
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि हमारे खाते में सब्सिडी आते ही कृषि विभाग के लोग उनसे पांच हजार रुपये की कटौती कर रुपये वापस करने की मांग करते हैं। दानपुर, डिबाई, औरंगाबाद और अनूपशहर के चेहते 530 किसानों को इसका लाभ दिया जा रहा है।
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डेढ करोड़ रुपये का हेर-फेर
रबी की फसल के दौरान 530 किसानों को चिह्नित किया गया था। इनमें से अधिकांश के खातों में 28 हजार रुपये सब्सिडी पहुंच गई है। ऐसे में 1.48 लाख रुपये का अनुदान में से किसानों को मात्र 20 लाख रुपये की ही लाभ मिलने की बात कही जा रही है।
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फर्जी बिल से हो रहा भुगतान
कृषि उपनिदेशक कार्यालय से बीज खरीद के लिए दो दुकानों के बिल लगाए गए हैं। खुर्जा और अरनिया स्थित दो दुकानों के डेढ करोड रुपये के बिल लगाए गए हैं। दोनों दुकानदारों से बीज खरीद की बात कही गई है लेकिन दुकानदारों को भनक भी नहीं कि उनके बिल कहां और कौन से उद्देश्य से लगाए गए हैं।
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इन्होंने कहा..
सीडीपी योजना से किसानों को मिलने वाले अनुदान का सत्यापन कराया जाएगा। शिकायत के आधार पर एक टीम गठित की गई है। बिलों की बाबत चार दिनों में रिपोर्ट मांगी गई है। किसानों के मोबाइल नंबर प्रदर्शित क्यों नहीं किए गए? खरीद किए गए बिलों पर जीएसटी नंबर आदि नहीं है। यह तथ्य भी जांच में शामिल किए गए हैं।
-अभिषेक पांडेय
सीडीओ।